ग्राम पंचायत पुरवा-खड़ौरा के नयाघर में श्रीमद् भागवत कथा का कलश यात्रा के साथ शुभारंभ हुआ। कलश यात्रा यजमान श्री रामलला चतुर्वेदी(वरिष्ठ पत्रकार) जी के निवास से ग्राम खडौरा देवी मंदिर से दक्षिण टोला ग्राम कटौली शिवालय होते हुए बैंडबाजों के साथ भव्य कलश यात्रा निकाली गई। कलश यात्रा कस्बे के मुख्य मार्गों से गुजरती हुई कार्यक्रम स्थल पर पहुंची। जहां पत्रकार महोदय ने भागवत की पूजा अर्चना की और पूजन के बाद कलश की स्थापना की गई। कथा व्यास परमश्रद्धेय श्री रामफलाचार्य दास जी महराज ने अपने प्रवचनों में उपस्थित श्रद्धालुओं को श्रीमद्भागवत पुराण की जानकारी देते हुए कहा कि श्रीमद्भगवत कथा का श्रवण करने से मानव जीवन में एक जन्म नहीं अपितु हमारे कई जन्मों के पापों का नाश होने के साथ ही हमारे शुभ कर्मों का उदय होता है। कथा सुनने मात्र से जीव जन्म और मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है। यात्रा में बड़ी संख्या में महिला श्रद्धालु पीत वस्त्र पहन कर व सिर पर कलश धारण कर शामिल हुई। इससे पूर्व कथा स्थल पर हवन पूजन किया गया। कथा का शुभारंभ करते हुए कथावाचक परमश्रद्धेय श्री रामफलाचार्य दास जी महराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा, ऐसी कथा है, जो जीवन के उद्देश्य एवं दिशा को दर्शाती है। इसलिए जहां भी भागवत कथा होती है, इसे सुनने मात्र से वहां का संपूर्ण क्षेत्र दुष्ट प्रवृत्तियों से खत्म होकर सकारात्मक उर्जा से सशक्त हो जाता है। उन्होंने कहा कि कथा की सार्थकता तभी सिद्ध होती है, जब इसे हम अपने जीवन और व्यवहार में धारण करें। श्रीमद्भागवत कथा के श्रावण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। उन्होंने कहा कि नारद जी ने भक्ति देवी के कष्ट की निवृत्ति के लिए श्रीमद् भागवत कथा का साप्ताहिक अनुष्ठान किया था। जहां संतकुमारों ने भागवत का प्रवचन करते हुए नारद के मन का संशय दूर किया। इसी कथा को धुंधकारी प्रेत ने अपने अग्रज से श्रवण किया और प्रेत योनि से मुक्ति पाकर विष्णु लोक को प्राप्त हुए। कथा व्यास ने कहा कि भगवत श्रवण से जीव के सभी पाप कर्म मिट जाते हैं। अंत में सामूहिक आरती और प्रसाद वितरण किया गया। इस दौरान राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय, बृजेश चतुर्वेदी(पत्रकार) , आशुतोष चतुर्वेदी बब्बू चौबे,छोटेलाल चौबे, श्रीकांत चौबे, लक्ष्मण चतुर्वेदी अभिनय चौबे,जीतराय,घनश्याम, विजय कुमार, राजकुमार, लालकुमार नीरज चौबे, बालेंद्र द्विवेदी सरोज द्विवेदी दिव्यांश चतुर्वेदी अनुराग सिंह सहित अनेक ग्रामीण जन मौजूद थे। कथा के दूसरे दिन कथा व्यास परमश्रद्धेय श्री रामफलाचार्य दास जी महराज ने श्री सुखदेव जी के जन्म, राजा परीक्षित एवं ज्ञान वैराग्य की कथा का सुन्दर वर्णन करते हुए कथा के माध्यम से श्रोताओं को बताया कि व्यक्ति को आपना जीवन सार्थक बनाना है तो श्रीमद्भागवत कथा का रसपान जरूर करें इसी से ज्ञान वैराग्य एवं मोक्ष की प्राप्त हो सकती है। पंडाल में दूसरे दिन श्रोताओं की भीड रही। कथा आयोजक श्री रामलला चतुर्वेदी एवं बृजेश चतुर्वेदी द्वारा श्रोताओं से अधिक से अधिक संख्या में कार्यक्रम में पहुंचकर धर्म लाभ उठाने की अपील की गई।
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