मानसून की दस्तक के साथ एक बार फिर दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में जलभराव और बाढ़ जैसे हालात बनने लगे हैं। मुंबई की सड़कों पर पानी लबालब है तो दिल्ली का मिंटो ब्रिज हर साल की तरह इस बार भी डूबने को तैयार है। हर साल करोड़ों रुपए खर्च होने के बावजूद हालात क्यों नहीं बदलते? मुख्य वजह है पुराने ड्रेनेज सिस्टम, जो अब ज्यादा बारिश को झेलने में सक्षम नहीं हैं।

रेनवॉटर हार्वेस्टिंग की पहल तो हुई है, लेकिन अभी इसे शहर की संरचना से जोड़ा नहीं गया। इसके उलट लंदन और न्यूयॉर्क जैसे शहरों में अत्याधुनिक सिस्टम हैं — न्यूयॉर्क में 10,000 रेन गार्डन और 400 एकड़ वेटलैंड हैं, जो बारिश के पानी को नियंत्रित करते हैं। भारत के मेट्रो शहरों को भी अब पारंपरिक सोच से आगे बढ़कर वैज्ञानिक समाधान अपनाने की ज़रूरत है।