शिव महापुराण के समापन पर आज पंडित प्रेम कृष्णा महाराज द्वारा महिषासुर कथा का वर्णन करते हुए बताया कि महिषासुर रंभासूर का पुत्र था, वह अत्यंत शक्तिशाली था,उसकी उत्पत्ति पुरुष और महिषी(भैस)के संयोग से हुई थी, इसलिए उसे महिषासुर कहा जाता था| उसने अमर होने के लिए ब्रह्मा जी की कठिन तपस्या की और प्रसन्न किया, और अमर होने का वरदान पाया|महिषासुर ने वर प्राप्त कर समस्त देशों का राजा बन गयाऔर पाताल लोक और मृत्यु लोक पर आक्रमण कर सब को अपने अधीन कर लिया और देवलोक पर भी महिषासुर का अधिकार हो गया| वह त्रिलोकादि पति बन गया| भगवान विष्णु ने सभी देवताओं के साथ मिलकर सबकि आदि भगवती महाशक्ति की आराधना के,देवी भगवती देवताओ पर प्रसन्न हुई,उन्हे(देवताओ) महिषासुर का वध कर भय से मुक्ति दिलाई| शिव महापुराण कथा के दौरान पंडित प्रेमकृषण महाराज द्वारा रुद्राक्ष की महिमा का वर्णन करते हुए बताया की रुद्राक्ष शिव को बहुत प्रिय है,इसके दर्शन या स्पर्श स्पर्श मात्र से तथा उस पर जप करने से व समस्त पापों का अपहरण करने वाला माना गया हैं, जो व्यक्ति रुद्राक्ष धारण करता है उसका स्वरूप भगवान शंकर के समान सभी लोगों के प्रणम्य और स्तुत्य हो जाता है,इस प्रकार रुद्राक्ष से युक्त होकर मनुष्य जब आसन लगाकर ध्यान पूर्वक शिव का नाम जपने लगता है तो उसको देखकर पाप स्वत: छोड़ कर भाग जाता है, शिव की महिमा से रुद्राक्ष धारण करने वाले समस्त पापों से मुक्त हो जाते हैं| इसी तारतम्य में सप्ताह समिति द्वारा नगर मे आज पालकी एवं भव्य शोभायात्रा निकाली गई जिसमें विभिन्न देवी-देवताओं के पात्र की सजीव चलीत झांकियां निकाली गई|जो नगर भ्रमण करते हुए बाजार चौक,बस स्टैंड, काली माता मंदिर होते हुए बाजार चौक पहुंची|इस दौरान मेहंदी ग्राम से आई भजन मंडली द्वारा भक्तिमय भजनों की शानदार प्रस्तुति देकर श्रद्धालु जनों को मंत्रमुग्ध कर दिया| 13 फरवरी को हरिकीर्तन के साथ दहीलाही कार्यक्रम होगा, तत्पश्चात महाप्रसाद वितरण होगा| विश्व शांति अखंड हरिनाम सप्ताह समिति द्वारा सभी श्रद्धालुओं को उक्त कार्यक्रम में शामिल होने की अपील की है|
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