मुंबई के भांडुप इलाके से एक चौंकाने वाला वीडियो सामने आया है। एक पिज़्ज़ा डिलीवरी बॉय को महज इसलिए अपमानित किया गया क्योंकि उसे मराठी भाषा नहीं आती थी। वीडियो में देखा जा सकता है कि डिलीवरी बॉय विनम्रता से समझा रहा है कि उसे मराठी नहीं आती, लेकिन कस्टमर ज़िद करता है — “पैसा चाहिए तो मराठी में बोलो।” ये मामला सिर्फ भाषा का नहीं, बल्कि इंसानियत और व्यवहार का है। एक मेहनती नौजवान, जो अपना काम ईमानदारी से कर रहा है, उससे इस तरह का व्यवहार

करना क्या सही है? मुंबई, जहां देशभर से लोग आते हैं, वहां भाषा को ज़रिया बनाकर भेदभाव करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। क्या हमारी पहचान सिर्फ भाषा से होनी चाहिए? या फिर इंसानियत सबसे ऊपर है? सोचिएगा ज़रूर।