भारतीय नौसेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी DRDO ने स्वदेशी मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन (MIGM) का सफल परीक्षण किया है। यह कोई आम माइन नहीं है — ये आधुनिक सेंसर्स से लैस है, जो दुश्मन के जहाजों की आवाज़, चुंबकीय क्षेत्र और दबाव जैसी गतिविधियों को पहचान सकती है। 💥 परीक्षण के दौरान इसका धमाका पानी के अंदर रिकॉर्ड किया गया — और DRDO ने इसका वीडियो भी साझा किया है। यह परीक्षण सिर्फ एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक और मज़बूत कदम है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि पर DRDO और नौसेना को बधाई दी और कहा कि ये प्रणाली भारतीय नौसेना की पानी के नीचे युद्ध क्षमता को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।

इस माइन का उत्पादन भारत डायनेमिक्स लिमिटेड, विशाखापत्तनम, और अपोलो माइक्रोसिस्टम्स जैसी भारतीय कंपनियों के सहयोग से किया गया है। और हां, आपको जानकर गर्व होगा कि अंडरवॉटर माइन्स की यह परंपरा कोई नई नहीं – बल्कि यह द्वितीय विश्वयुद्ध से चली आ रही तकनीक है, जिसे अब भारत ने पूरी तरह अपने दम पर विकसित कर लिया है। 🎯 अब समय है कि हम इस पर गर्व करें – क्योंकि यह केवल एक माइन नहीं, बल्कि भारत की तकनीकी ताकत और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।