तामिया के सावरवानी होम स्टे कॉटेज में आए 2 विदेशी मेहमानों ने यहां के घरों में प्रचलित देशी आटा चक्की को अपने हाथों से पीसकर देखा और मिट्टी के चूल्हे में रोटियां पकाकर गर्म रोटियों का उठाया लुप्त पारंपरिक मिनी आटा चक्कियां अब भले ही हमारे घरों में प्रचलन में न हों, लेकिन वे पौष्टिक भोजन तैयार करने में मदद करती थी। एक जमाना था जब गांव हो या शहर सब जगह आटा पीसने के लिए हाथ की बनी चक्कियों का उपयोग किया जाता था। आज तामिया के सावरवानी होम स्टे कॉटेज में आए 2 विदेशी मेहमानों ने यहां के घरों में प्रचलित देशी आटा चक्की को अपने हाथों से पीसकर देखा और इसके बारे में जानकारी प्राप्त की। बाद में इसी देसी चक्की के आटे से मिट्टी के चूल्हे में पकी हुई रोटियों का स्वाद चखा। छिंदवाड़ा जिले के तामिया के सावरवानी गांव में जिले के पहले होम स्टे कॉटेज में विलेज वेज के तहत दो विदेशी मेहमान आदिवासी संस्कृति से रूबरू होने रुके। यहां विदेशी मेहमानों ने बैलगाड़ी से गाँव का भृमण किया,ग्रामीणों ने बासुरी,मृदंग बजाकर विदेशी मेहमानों को नाचने में मजबूर कर दिया।
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