बोकारो जिले के नावाडीह में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इन दिनों अफरा-तफरी मची हुई है! अस्पताल पर प्रदर्शनकारी नारे की गूंज रही हैं , क्योंकि 56 आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को लगभग आठ महीने से वेतन नहीं मिला, परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच चुके हैं, और राज्य सरकार कानों में तेल डालकर बैठा है! कर्मचारियों का आरोप है कि ईपीएफ और ईएसआई की कटौती सालों से अटकी पड़ी है, यात्रा भत्ता और समय पर वेतन की गारंटी तो सपना बन चुकी है। बोकारो जिला सचिव मुन्ना दास ने खुलकर राइडर कंपनी के नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि 2019 से कर्मचारियों की जॉइनिंग हुई, उसी दिन से P F नहीं मिल रहा है , और पे स्लिप भी नहीं दी जा रही, जिससे वेतन संबंधी गड़बड़ियों का हिसाब रखना मुश्किल हो गया है। सवाल उठता है—क्या स्वास्थ्यकर्मी इंसान नहीं हैं? क्या उनकी मेहनत की कोई कीमत नहीं? स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि अस्पताल में बची-खुची व्यवस्थाएं भी खराब हो गई हैं। डॉ. अमरजीत शर्मा ने इस संकट पर चिंता जताते हुए कहा, “सारा काम

ठप हो चुका है! अधिकतर काम मुझे खुद करना पड़ रहा है, जो कि बेहद अन्यायपूर्ण है। यह शर्मनाक है कि जो कर्मचारी मरीजों की जान बचाने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं, उन्हें ही उनका हक नहीं मिल रहा!” डॉक्टरों और मरीजों की परेशानियों से बेखबर प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है। हालांकि, झारखंड के पूर्व मंत्री बेबी देवी ने यह आश्वासन देते हुए कहा कि आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के मांगों को सरकार तक रखने का काम करेंगे। उनकी समस्याओं का समाधान होगा