औरंगाबाद से दीनानाथ मौआर की रिपोर्ट औरंगाबाद में मामा और भांजी का रिश्ता हुआ तार तार मामा ने नव लाख रुपये में भांजी को बेचा मामला हुआ उजागर आपको बता दु की भले ही बिहार की पुलिस चाइल्ड ट्रैफिकिंग को लेकर कितना ही सजग क्यों न हो मगर इस व्यवसाय में संलिप्त लोग ऐसे वारदात को करने में सफल हो जाते है और पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रह जाती है।इतना ही नहीं इस पीड़ा से गुजर रहे परिजनों की गुहार पर भी पुलिस प्रशासन कोई कारवाई नही करती और चाइल्ड ट्रैफिकिंग की दूसरी घटना घट जाती।ऐसा ही एक मामला औरंगाबाद जिले के ओबरा थाना क्षेत्र के सदीपुर डिहरी में घटी है।जहां एक मामा ने अपनी 16 वर्षीय भांजी को राजस्थान ले जाकर 50 वर्षीय व्यक्ति के हाथों बेच दिया और इस घटना के चार माह होने को है मगर अभी तक पुलिस प्रशासन के द्वारा कोई कारवाई नही की जा सकी है । इस संबंध में किशोरी की मां ने पूरे मामले को विस्तार से बताते हुए एसपी से अपनी बच्ची के सकुशल बरामदगी की गुहार लगाई है।मगर उसकी आवाज नक्कारखाने में तूती की आवाज साबित हुई। एसपी को दिए आवेदन में किशोरी की मां ने बताया है कि उसने अपनी बेटी को अपने ही मां पिता के घर उनके खाना बनाने के लिए छोड़ रखा था। माता पिता के प्यार को देखते हुए मैने उनकी सेवा में अपनी बेटी को लगा दिया था। लेकिन 26 जुलाई को बारुण के लल्लू बिगहा निवासी मेरी बहन ने बताया कि मेरी बेटी 21 जुलाई से ही गायब है। अपनी बेटी के गायब होने की सूचना पर काफी परेशान हो गई। जब इसका पता लगाया तो जानकारी मिली कि मेरी ही बेटी को मेरे ही मां, पिता, भाई और अन्य ने मिलकर राजस्थान के सत्यनारायण अग्रवाल के हाथों बेच दिया है। इस मामले में किशोरी की मां ने 9 लोगों को आरोपित बनाकर कार्रवाई की मांग पुलिस अधीक्षक से की है। जबकि इस मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष के प्रधान निजी सचिव धर्मेंद्र भंडारी ने पीड़िता के आवेदन के आलोक में संज्ञान लेते हुए अपने पत्रांक BR 236793/ 21- 22/जेजे/एनसीपीसीआर/दिनांक 6/ 9/2022 से औरंगाबाद के एसपी को एक पत्र लिखकर दश दिन के अंदर कई महत्वपूर्ण जानकारी मांगी है।
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