विद्यालय में शिशु नगरी मेला का आयोजन ” सरस्वती शिशु विद्या मंदिर ,मालवीय मार्ग, हजारीबाग में प्रांतीय योजनानुसार ‘शिशु नगरी मेला ’ का आयोजन 20 जनवरी,दिन – सोमवार को किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन, शंखनाद तथा घोष वादन के साथ भारतमाता का पुजन, पुष्पार्चन के साथ हुआ! विद्यालय प्रबंधन समिति के माननीय सचिव श्रीमान ज्ञानचंद प्रसाद मेहता, शिशु वाटिका , हजारीबाग विभाग सह प्रमुख श्रीमती रविप्रभा दीदी , विद्यालय प्रबंधन समिति के माननीय सदस्य श्रीमान शैलेश चंद्रवंशी,श्रीमती ऋचा प्रिया सिन्हा, श्रीमती सोनी क्षेत्री कृष्णा ,प्रधानाचार्य श्रीमान संजीव कुमार झा ने संयुक्त रूप से शिशु नगरी मेला का उद्घाटन विद्यालय परिसर में किया। शिशुनगरी में कक्षा अरुण से पंचम तक के भैया/बहनों ने शिशु नगरी को सजा कर विभिन्न प्रकार के हस्त निर्मित वस्तुएं एवं स्वादिष्ट व्यंजनों का स्टाल लगाया। मंचीय कार्यक्रम में अतिथियों का परिचय विद्यालय के वरिष्ठ आचार्य श्री मनोज पांडे ने कराया। अतिथि सम्मान के पश्चात सरस्वती शिशु विद्या मंदिर,चतरा से पधारी श्रीमती रवि प्रभा दीदी ने विषयवस्तु को रखते हुए कहा कि विद्याभारती योजनानुसार इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन करने का उद्देश्य भैया /बहनों का सर्वांगीण विकास करना है। उन्होंने शिशु वाटिका की बारह शैक्षिक व्यवस्थाओं की विस्तृत रूप से चर्चा की तथा शिशु नगरी मेला की परिकल्पना और उद्देश्य को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि यह आयोजन बच्चों की प्रतिभा को प्रोत्साहित करने और उनके नैतिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों को मजबूती प्रदान करने के लिए किया गया है। इस अवसर पर नन्हे – मुन्ने भैया /बहनों के द्वारा आकर्षक एवं मनमोहक नृत्य एवं देश भक्ति गीत की प्रस्तुति की गईं। कार्यक्रम

के अंत में मंच संचालिका ममता दीदी ने विद्यालय के सचिव महोदय को आमंत्रित किया। सचिव श्री ज्ञानचंद प्रसाद मेहता ने अपने धन्यवाद संबोधन में कहा कि यह कार्यक्रम अपनी योजना में एक अनूठा कार्यक्रम है और पहली बार आयोजित हुआ है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय सदर विधायक प्रदीप कुमार जी का अंतिम समय में अपरिहार्य कारण से उनकी उपस्थित नहीं बन सकी। किन्तु, कार्यक्रम में उनके सम्मिलित होने की स्वीकार्यता ने विद्यालय परिवार का उत्साह बढ़ाया है, मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं। यह विद्यालय हजारीबाग नगर ह्रदयस्थल झंडा चौक से कुछ सौ मीटर की दूरी पर मुख्यपथ मालवीयमार्ग पर अवस्थित होने के कारण समाज के सभी वर्ग के लिए उनकी सेवा के लिए यह सहज उपलब्ध है। सभ्यक परिवेश में संस्कारगत नीति अनुकूल कक्षा शून्य ( खेल – वर्ग) से लेकर कंप्यूटर शिक्षा सहित कक्ष – 10 तक की शिक्षा योग्य आचार्य/ आचार्यों द्वारा प्रदत करवाने में अनवरत सचेष्ट है। शिशु नगरी में नन्हे – मुन्ने बच्चों द्वारा लगाए गए उनके शोभा पंडाल आकर्षक एवं मनमोहक है । बच्चों की कलाकृति, पाककला, चित्रकला एवं विभिन्न प्रकार की प्रदर्शनी बच्चों की प्रतिभा को ऐसा अभिव्यक्त करता है कि आप इस नगरी को घूमने का लोभ संवरण नहीं कर सकते है। उन्होंने बच्चों के कलाकृतियों की काफी सराहना की। आगे उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम होने से बच्चों की प्रतिभा निखर कर सामने आती है। विद्यालय के सभी आचार्य बंधु/भगिनी ने अपना सराहनीय योगदान दिया है, उन्हें धन्यवाद तथा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लगे हुए सभी के प्रति आभार एवं कृतज्ञता व्यक्त किया।