हजारीबाग – जिले के कटकमदाग प्रखंड के खपरियावां में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का समापन मंगलवार को हो गया। कथा के अतिम दिन वृंदावन से पधारे श्रीमद्भभागवत एवं मानस प्रवक्ता पंडित श्री जयदेव शास्त्री ने कथा का समापन करते हए कई कथाओं का श्रवण कराया। उन्होंने कथा वाचन करते श्रीमद्भागवत कथा को अपने जीवन में उतारने की बात कही। उन्होंने सभी लोगों को धर्म की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा दी। अंतिम दिन सुदामा चरित्र के माध्यम से भक्तों को सामने दोस्ती की मिसाल पेश करते समाज में समानता लाने का संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करने से पापात्मा जीव का भी उद्धार जाता है। कथा के आयोजन करने वाले, इसमें सहयोग करने वाले और सुनने वाले बड़े पुण्य के भाग होते है। उन्होंने भगवान श्री कृष्णा और सुदामा के मित्रता का वर्णन करते कहा कि सच्चा मित्र वही है। जो अपने मित्र के दुख और विपत्ति में साथ दे। सच्चे मित्र को नीचा रखने के बजाय समकक्ष उतारने का प्रयास करें। मित्रता का अर्थ स्वार्थ नहीं बल्कि सहयोग और समर्पण होना चाहए। उन्होंने सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए विस्तार से बताया कि कैसे बिना याचना के भगवान ने गरीब सुदामा जैसे मित्र का उद्धार किया। कथा के अतिम दिन गुरुदेव जयदेव शास्त्री ने जीवन को जीने की कला सिखाई। उन्होंने कई उपदेशात्मक वृतांत सुनाकर भक्तों का निहाल कर दिया। कहा कि मनुष्य का जीवन 84 लाख योनियों में भटकने के बाद मिलता है। इसे कैसे जीना चाहिए।

यह भी समझाया। कथावाचक शास्त्री ने सूर्यदेव से सत्रजीत को उपहार स्वरूप मिली मणी का प्रसंग सुनाते हुए मणी के खो जाने पर जामवंत और श्री कृष्ण के बीच 28 दिन तक चले युद्ध और फिर जामवंती, सत्यभामा समेत श्री कृष्ण के सभी आठ विवाह की कथा सुनाई। कैसे प्रभु कृष्ण ने दुष्ट भौमासुर के पास बंदी बनी हुई 16 हजार एक सौ कन्याओं को अपनी पटरानी बनाकर उन्हें मुक्ति दी। कथा के बीच में श्रद्धालुओं ने अबीर गुलाल खेलकर एवं नत्य कर भक्ति भाव प्रकट किया। श्रीमद्भागवत कथा का रसपान के लिए खपरियावां, बन्हा, नवादा गांव से भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ी। गुरुदेव ने कहां की तन कहीं भी हो, लेकिन मन वृंदावन और राधा रानी में रहना चाहिए। उन्होंने श्रीमद्भागवत कथा सुनने के लिए सभी श्रद्धालुओं का आभार जताया। सात दिवसीय कथा का आयोजन विपिन कुमार मिश्र, प्रवीण कुमार मिश्र, दीपक मिश्र,वीरेंद्र मिश्र, अनुराग मिश्र, राहुल , कुणाल आदि ने स्वर्गीय जलेश्वर मिश्र की प्रथम पुण्यतिथि पर किया था। सात दिन तक का खपरियावां गांव भक्ति रस में डूबा रहा।इसमे नृसिंह मिश्र टोनी, विकास मिश्रा कोनी, मणिकांत मिश्र, मृत्यंजय मिश्र सहित गांव के अन्य लोगों ने सहयोग किया। बुधवार को हवन, यज्ञ तथा भंडारे के साथ कथा का समापन हो जाएगा।