हजारीबाग शहर अवस्थित अर्श कन्या गुरुकुल में बुधवार को शहीद शेख भिखारी एवं शहीद टिकैत उमराव सिंह की 167 वीं शहादत दिवस मनाई गई। इस अवसर पर दोनों शहिदों के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया और उनको नमन करते हुए उनके शहादत को याद किया। कार्यक्रम का संचालन ओमप्रकाश मेहता एवं अध्यक्षता शहीद जयमंगल पांडेय के वंशज सचिदानंद पांडेय ने किया। इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि झारखंड स्वतंत्रता सेनानी विचार मंच के प्रदेश अध्यक्ष बटेश्वर प्रसाद मेहता शरीक हुए। अर्श कन्या गुरुकुल में इन शहिदों की वीरता और बलिदानों को याद करते अमर शहीद शेख भिखारी और टिकैत उमराव सिंह का शहादत दिवस हर्षोल्लास मनाया गया। ऐसे में बताना अहम यह होगा कि 1857 की क्रांति का बिगुल फूंकनेवाले दोनों वीरों को चुटूपालू घाटी के निकट पेड़ पर बिना मुकदमा चलाए अंग्रेजों ने आठ जनवरी 1858 को फांसी दे दी थी। इस अवसर पर

सच्चिदानंद पांडे ने कहा की झारखंड में 1857 स्वतंत्रता संग्राम जो राष्ट्रीय भारतीय आंदोलन से प्रेरित है। आज यह क्रांति का इतिहास राज्य में ही जी गुमनाम हो गया है आज इस गुमनाम आंदोलन और इन महान स्वतंत्रता सेनानियो के इतिहास को आज की पीढ़ियों को जानने की आवश्यकता है। मुख्य अतिथि बटेश्वर प्रसाद मेहता ने कहा कि आज सरकार को जागने की जरूरत है आज इन लोगो की शहादत दिवस पर खाना पूर्ति सरकार के अधिकारियों द्वारा की गई। कई जगह पर बाक़ी राज्य के जिलों में इनकी शहादत दिवस भी नही मना हजारीबाग में शहीद शेख भिखारी मेडिकल है यहाँ न शेख भिखारी की प्रतिमा है न शेख भिखारी हॉस्पिटल में इन महान शहीदों को याद किया गया यह दुर्भाग्य पूर्ण है आज इन क्रांतिकारियों की वीरता को जानने की आवश्यकता है। श्रद्धा सुमन अर्पित करने वालों में समाज सेवी उमेश गोप, शशि कुमार सिंह, सुरेश कुमार, जोगी जागेश्वर साव, निर्मल साव, नंदलाल साव, बैजनाथ महतो, ओम आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।