कैमूर जिले के भगवानपुर प्रखंड मुख्यालय बाजार में धान की फसल का समय आते ही बाहर से बहरूपिया आकर 12 रूपों का प्रदर्शन करने लगे हैं। यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है, लेकिन अब बहरूपिया केवल दो-चार रूप ही दिखा पाते हैं और अपनी जीविका के लिए कुछ मांगते हैं। भगवानपुर सड़क बाजार के दरोगा जी मंदिर के पास दही बेचते हुए और पंडा का रूप धारण किए हुए बहरूपिया प्रदर्शन करते हुए देखे गए। दुकान पर बैठे विजय श्रीवास्तव और अरुण अग्रवाल ने बताया कि हर साल जब गांव में धान पकता है, तो बाहर से बहरूपिया आकर अपने रूपों का प्रदर्शन करते हैं। पहले ये

लोग 12 रूप दिखाकर ग्रामीणों से कुछ मांगते थे, लेकिन अब दो-चार रूप दिखा कर ही अपने जीवन यापन के लिए कुछ मांगने लगे हैं। इससे बहरूपिया के रूपों में भी कमी आई है। इस बारे में चैनपुर थाना के सिर्बिट गांव के दो बहरूपियों ने बताया कि यह उनकी खानदानी पेशा है, क्योंकि उनके दादा भी बहरूपिया थे और आज भी वे इस परंपरा को निभाते हुए अपनी जीविका अर्जित करते हैं।