झाझा श्रीकृष्ण गौशाला: सेवा की जगह व्यवसाय और राजनीति का प्रभाव 

झाझा श्रीकृष्ण गौशाला: सेवा की जगह व्यवसाय और राजनीति का प्रभाव 

झाझा की प्रतिष्ठित श्रीकृष्ण गौशाला, जो कभी गायों और बछड़ों से चहकती और महकती है, अब राजनीतिक और व्यावसायिक प्रचार का अड्डा बनती जा रही है। इस गौशाला का पुनर्निर्माण और पुनर्जीवन झाझा के पूर्व थानाध्यक्ष राजेश शरण द्वारा कराया गया था, लेकिन दुर्भाग्यवश इस बार गोपाष्टमी पूजा और आम सभा में उनका न आना या उन्हें ससम्मान न बुलाना, गौशाला के संरक्षकों और गो भक्तों के लिए चिंता का विषय बन गया है। गौशाला पर राजनीतिक प्रभाव और कारोबारियों का दबदबा : झाझा श्रीकृष्ण गौशाला वर्तमान समय में एक खास व्यक्ति और उनके अनुकूल कार्यकारिणी सदस्यों के कब्जे में प्रतीत होती है। सदस्य गौशाला के विकास के लिए स्वतंत्र रूप से कार्य करने में असमर्थ महसूस करते हैं। दान लेने के बाद हिसाब मांगने या आम जनता को सवाल पूछने का कोई अधिकार नहीं दिया गया है। गौशाला के पदाधिकारी केवल रसूखदार, व्यवसायी और प्रभावशाली लोगों को बुलाते हैं और सम्मान देते हैं, जिससे आम गो भक्तों के लिए यहां कोई स्थान नहीं है।

प्रभावशाली लोगों की अनुपस्थिति ने उठाए सवाल : गोपाष्टमी पूजा और आम सभा में पहली बार वर्षों बाद लगे मेले में पदेन अध्यक्ष एसडीएम साहब भी अनुपस्थित रहे। वहीं, इस कार्यक्रम में झाझा के प्रतिष्ठित दानवीर और समाजसेवियों जैसे डॉ. नीरज साह, समाजसेवी आईपी गुप्ता, लक्ष्मण झा, स्थानीय विधायक दामोदर रावत, और स्थानिय जिला पार्षद, एवं बरनवाल सेवा संघ के अध्यक्ष गोपाल प्रसाद बरनवाल की अनुपस्थिति ने भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं। इन प्रभावशाली लोगों का न आना यह दर्शाता है कि गौशाला के पदाधिकारियों की प्राथमिकताएं बदल गई हैं। गोपाष्टमी मेले में व्यवसायिक प्रचार की मौजूदगी : गोपाष्टमी के अवसर पर आयोजित मेले में एक अस्पताल संचालक द्वारा अपना प्रचार बैनर लगवाया गया, जो इस संगठन में व्याप्त दबंगता और व्यापारिक दबदबे को दर्शाता है। यह घटनाएं गौशाला के पवित्र उद्देश्य और इसके धार्मिक महत्व को खोखला कर रही हैं। गौशाला के प्रबंधन पर बढ़ते व्यवसायिक प्रभाव और राजनीतिक गठजोड़ से इसके वास्तविक उद्देश्य को हानि पहुँच रही है। गो भक्तों की उम्मीदें और चिंता : गौ भक्त अभी भी गौ माता की सेवा में लगे हुए हैं और यही उम्मीद करते हैं कि गौशाला में व्याप्त इन परेशानियों का अंत हो और इसे फिर से एक पवित्र धार्मिक और सेवा स्थल के रूप में स्थापित किया जाए। उनका मानना है कि गौशाला के उद्देश्य की ओर लौटने से गौ माता की कृपा बरसती रहेगी।

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *