दशहरा मेला के बाद गाँव में बच्चों की टोलियां टेसू लेकर निकल पड़ीं। जबकि बालिकाओं की टोलियां झेंझीं लेकर गली मोहल्लों में घूम रहीं हैं। वही शरद पूर्णिमा पर कई स्थानों पर टेसू झेंझी के विवाह के आयोजनों की धूम रहेगी। बता दे की क्षेत्रीय लोगों का मानना है कि टेसू झेंझी के ब्याह के बाद से शादी विवाह का दौर शुरू हो जाता है।लोक महोत्सवों में टेसू झेंझी एवं इनका विवाह खासा लोकप्रिय हैं। जहां बच्चों एवं युवाओं की टोली नगर के सभी प्रमुख गलियों में टेसू लेकर निकलते हैं। टेसू लिए बच्चे ‘टेसू मेरा यहीं खड़ा मांग रहा है दहीबड़ा…’ जैसे कई प्रमुख क्षेत्रीय गीत गाते नजर आए। बच्चों की टोली टेसू के विवाह के लिए पैसे एकत्रित करते हैं। जबकि बालिकाओं की टोलियां झेंझी लेकर निकलतीं हैं।बालिकाओं की टोलियां मेरी झेंझी को रचो है ब्याओ… जैसे क्षेत्रीय गीत गातीं नजर आईं। शरद पूर्णिमा पर विधि विधान एवं रस्मों के साथ टेसू झेंझी का विवाह कर दिया जाता है। गाँव नगर सजे धजे टेसू की बारात के बाद झेंझी के साथ सभी रस्में पूरी कीं जातीं कस्बों में जबरदस्त भीड़ आस-पास के गांवों के ग्रामीणों की देखने को मिलती है।बाजारों में चाट, मिठाई, खिलौनों, आतिशबाजी व टेसू-झेंझी की दुकानेें लगी थीं। इसमें सबसे ज्यादा खरीदारी टेसू-झेंझी की हुई।
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