लोग यति नरसिम्हानन्द जी के बयान के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे होते हैं। वे अपने बैनर और पोस्टर लेकर सड़क पर चलते हैं।प्रदर्शन शांतिपूर्ण चल रहा होता है, लेकिन तभी कट्टर जिहादियों की एक भीड़ आती है और पुलिस पर पथराव करना शुरू कर देती है। माहौल तनावपूर्ण हो जाता है।पुलिस स्थिति को संभालने की कोशिश करती है, लेकिन पथराव के कारण उन्हें काफी परेशानी होती है। कुछ पुलिसकर्मी घायल हो जाते हैं।घायल पुलिसकर्मियों को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया जाता है। डॉक्टर उनकी स्थिति का जायजा लेते हैं और उन्हें प्राथमिक उपचार देते हैं।प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस उच्चाधिकारी घटना की समीक्षा के लिए एक बैठक आयोजित करते हैं। वे स्थिति को नियंत्रण में लाने के उपायों पर चर्चा करते हैं।गाँव के लोग और सामाजिक कार्यकर्ता न्याय की मांग के लिए एकजुट होते हैं। वे सरकार से सख्त कदम उठाने की मांग करते हैं और शांति की अपील करते हैं।गाँव के लोग एकजुट होकर शांति का संदेश फैलाने का संकल्प लेते हैं। वे हिंसा का विरोध करते हैं और समाज में शांति और सामंजस्य को बढ़ावा देने का वादा करते हैं।
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