बिहार की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के तमाम दावों के बावजूद जमीनी स्तर पर स्थिति बदतर बनी हुई है। उत्क्रमित उच्च विद्यालय कानन में पूर्व और वर्तमान प्राचार्य पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। स्कूल की व्यवस्था लगभग राम भरोसे चल रही है, और इसमें छात्रों की शिक्षा से लेकर बुनियादी सुविधाओं तक का अभाव स्पष्ट नजर आ रहा है। शिक्षा व्यवस्था में 0% सुधार : कानन उत्क्रमित उच्च विद्यालय में शिक्षा का स्तर बेहद खराब है। स्कूल के बुनियादी ढांचे की बात करें तो क्लासरूम, पंखे, कुर्सियां, खिड़कियां, दीवारें और यहां तक कि स्कूल गेट और किचन रूम भी ठीक स्थिति में नहीं हैं। छात्रों के बैठने के लिए कुर्सियों की भी कमी है, और यहां तक कि किताबें और प्रश्नपत्र चोरी होने की घटनाएं भी सामने आई हैं। विद्यालय के शिक्षकों की संख्या बेहद कम है—12वीं कक्षा तक के विद्यालय में मात्र पांच शिक्षक हैं। इसके अलावा, रात में नाईट गार्ड की मौजूदगी के बावजूद स्कूल की संपत्ति चोरी हो रही है। इस पर विद्यालय के अध्यक्ष और सचिव ने गंभीर सवाल उठाए हैं और इस मामले में डीएम, शिक्षा पदाधिकारी और मुख्यमंत्री तक शिकायत दर्ज कराई गई है। रसोइयों पर घूस के आरोप : स्कूल की रसोईया ने भी चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व प्रभारी प्रमिला कुमारी ने उनसे घूस लेकर रसोईया पद पर नियुक्त किया था। प्रमिला कुमारी ने एक मीडिया चैनल के सामने खुलासा किया कि ऊपर के पदाधिकारियों को पैसे देने पड़ते हैं, और जिनका काम नहीं हुआ, उन्हें पैसा लौटा दिया गया। यह सवाल उठता है
कि आखिर यह घूस कहां तक पहुंच रही है और किस वरीय अधिकारी के पास जाकर यह घोटाला अंजाम दिया जा रहा है। शिक्षा विभाग और प्रशासन से इस मामले की जांच की मांग की गई है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। मिड डे मील में भारी अनियमितताएं : मिड डे मील में भी गड़बड़ियां सामने आई हैं। विद्यालय के प्राचार्य सत्येंद्र कुमार सिंह पर आरोप है कि वे बच्चों को मेन्यू के अनुसार सामग्री नहीं देते और सीमित मात्रा में सब्जी और चावल परोसते हैं। भोजन की गुणवत्ता में कटौती की जा रही है, और बड़ी संख्या में बच्चों को भोजन नहीं मिल पा रहा है। इस मिड डे मील योजना में भ्रष्टाचार को लेकर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं। स्कूल के अध्यक्ष संजय यादव ने इस मुद्दे को लेकर जिलाधिकारी को आवेदन दिया है। जब पत्रकार विद्यालय पहुंचे, तो उन्होंने पूर्व प्राचार्य प्रमिला कुमारी और वर्तमान प्राचार्य के बीच तीखी बहस होते हुए देखी। भ्रष्टाचार के बीच छात्रों का भविष्य खतरे में : विद्यालय के अंदर भ्रष्टाचार और आपसी वर्चस्व की लड़ाई ने छात्रों के भविष्य पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। शिक्षा के इस मंदिर में चल रही इन अनियमितताओं का सीधा असर छात्रों की शिक्षा पर पड़ रहा है। यह देखना होगा कि शिक्षा विभाग इस मामले में क्या कदम उठाता है—क्या दोषी प्राचार्यों पर कार्रवाई होगी, या फिर विभाग इन भ्रष्टाचारियों को बचाकर अपनी पीठ थपथपाएगा? इस रिपोर्ट ने कानन उत्क्रमित उच्च विद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार और शिक्षा व्यवस्था की खस्ता हालत को उजागर किया है। सवाल यह है कि कब तक बिहार की शिक्षा व्यवस्था इसी तरह ढुलमुल स्थिति में रहेगी, और इसे सुधारने की जिम्मेदारी कौन लेगा?