कैमूर जिले के बेलांव थाना क्षेत्र अंतर्गत भगवानपुर – बेलांव पथ पर खजुरा माइनर से करीब 300 मीटर पूरब शुक्रवार को अनियंत्रित ट्रैक्टर की चपेट में आने से दो बाइक पर सवार एक की मौत हो गई जबकि तीन गंभीर रूप से जख्मी हो गए। मृतक की पहचान स्थानीय प्रखंड क्षेत्र के मझियाँव गांव निवासी रामबिहारी राम के 30 वर्षीय पुत्र लालबाबू राम के रूप में हुई है।वहीं घायलों में मझियांव गांव निवासी नंदू राम का पुत्र इंदू राम(25),दूसरा रामपुर प्रखंड क्षेत्र के बिछियां गांव निवासी मदन राम का पुत्र अंकेश कुमार व तीसरा बिछियां गांव का ही छट्ठू राम का पुत्र अक्षय कुमार बताया जाता है। पसाईं पंचायत के उपमुखिया मुकुल सिंह ने घटना के बारे में बताया कि मृत युवक कारीगर था। वह बेलांव बाजार में जितेंद्र सिंह के हार्डवेयर के दुकान पर काम करता था। शुक्रवार की सुबह करीब नौ बजे वह अपने साथी इंदु राम के साथ बाइक पर सवार होकर दुकान पर जा रहा था तभी उक्त स्थल के समीप अनियंत्रित तेज रफ्तार ट्रैक्टर ने ठोकर मार दी।इतना ही नहीं ठोकर मारने के बाद तेज रफ्तार से भाग रही ट्रैक्टर ने एक अन्य बाइक में भी उसी छड़ टक्कर मार दी। इस घटना में दोनों बाइक पर सवार चार उक्त युवक जख्मी हो गए।स्थानीय लोगों की मदद से सभी घायलों को इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रामपुर में भर्ती कराया गया। जहां पर सभी का
हालत है इसके स्थिति को देखते हुए चिकित्सकों ने सदर अस्पताल भभुआ के लिए रेफर कर दिया। जहां से लालबाबू की गंभीर स्थिति को देखते हुए सदर अस्पताल के चिकित्सकों ने हायर सेंटर वाराणसी के लिए रेफर कर दिया। वाराणसी जाने के दौरान चंदौली के आस पास लालबाबू ने दम तोड़ दिया। इधर घटना की सूचना मिलते ही भभुआ के जिला परिषद सदस्य विकास सिंह उर्फ लल्लू पटेल सदर अस्पताल पहुंचे जहां पर सभी घायलों से मिलकर उनका हिम्मत बढ़ाया। वहीं मृत युवक के परिजनों को संबल बंधाते हुए कहा कि मैं इस दुख की घड़ी में पीड़ित परिवार के साथ तन- मन – धन से खड़ा हूं। मृतक के परिजन को भरोसा दिलाया कि सड़क दुर्घटना में मिलने वाली सरकारी सहायता राशि को यथा शीघ्र दिलवाने का प्रयास करेंगे।घटना की सूचना मिलते ही मझियांव गांव में कोहराम मच गया। मृतक की पत्नी कविता देवी का रो – रो कर बुरा हाल है।मृतक अपने पीछे 11 वर्षीय पुत्री गुड़िया कुमारी व 3 वर्षीय पुत्री रागनी कुमारी तथा इकलौता 5 वर्षीय पुत्र नीरज कुमार को छोड़कर ईश्वर को प्यारे हो गए।बाबूलाल के असमय दुनिया छोड़ने से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।