इंद्र का प्रकोप एक बार फिर विफल, तोड़ न पाई भक्तों का हौंसला। जी हा द्वापर युग में जैसे भगवान श्री कृष्ण ने अपने उंगली पर गोवर्धन धारण कर लगातार सात दिनों तक गोकुल वाशियो की रक्षा की थी, कुछ ऐसा ही मंजर धनबाद के न्यू टाउन हाल में इस्कॉन के तत्वाधान में मनाए जा रहे भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव में देखने को मिला। एक तरफ बारिश रुकने का नाम ही नही ले रही थी तो दूसरी ओर भक्तों की भक्ति,श्रद्धा, और उत्साह कम होने का नाम नहीं ले रही थी । दिव्य,अनुपम,और भक्ति रस में सबको डूबा देने वाला कीर्तन,नृत्य, कथा प्रसंग , लगातार चल रहे राधा, कृष्ण का दिव्य अभिषेक तरह तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा प्रसाद वितरण ने कुछ इस प्रकार भक्तो और श्रद्धालुओं को दिव्य भक्तिमय वातावरण में बांधे रखा की लगातार हो रही वर्षा का कोई प्रभाव नहीं दिखा । इस्कॉन धनबाद द्वारा इस वर्ष भी धनबाद की मुख्य और सबसे बड़ी जन्माष्टमी का आयोजन 26 अगस्त को न्यू टाउन हॉल में किया गया। 10,000 से अधिक दर्शनार्थी, 700 से अधिक वीआईपी 5 स्थानों पर निरंतर अभिषेक, 18 से अधिक संस्थाओं द्वारा 10 से अधिक संस्कृतियाँ दर्शाने वाले 22 से अधिक सांस्कृतिक प्रोग्राम 10,000 से अधिक प्लेट महाप्रसाद के वितरण के साथ धनबाद ने देखा अब तक का ऐतिहासिक जन्माष्टमी महोत्सव जो कीसंध्या 5:00 बजे से मध्य रात्रि 12:00 बजे तक भक्ति रस की धारा प्रवाहित करते रही, टाउन हॉल, पंडाल तथा गोल्फ ग्राउंड के मुख्य प्रवेश तक को रंग विरंगे फूलों से, मोर पंख, मुरली, माखन की थीम पर सजाया गया था। टाउन हॉल में 3000 भक्तों के बैठने की व्यवस्था की गई थी, तीन एलईडी स्क्रीन का भी इस्तेमाल किया गया। और इस बार 10,000 से भी ज्यादा भक्तों के लिए प्रचुर मात्रा में खिचड़ी और हलवा प्रसाद का वितरण हुआ। माननीय विधायक राज सिंहा , मुकेश यादव (जगन्नाथ पुरम) एवं अनेक लोकमान्य अतिथियों उपस्थित थे। भगवान श्री श्री राधाकृष्ण की युगल मूर्ति का दही, दुग्ध, मधु, शर्करा, पुष्प, फलों के रस एवं गंगा जल से भव्य महाअभिषेक आयोजित किया गया।
कुल पांच युगल विग्रहों का अभिषेक किया गया जिसमें आए हुए मुख्य अतिथि और अन्य भक्तों को जन्माष्टमी के पावन अवसर पे अभिषेक करने का अवसर प्राप्त हुआ। इस बार सांस्कृतिक कार्यक्रम में झारखंड के अलग-अलग लोक नृत्य जैसे कर्मा, टूशू, सेहरूल, आदि की भिन्न भिन्न पोशाक और सामग्रियों की प्रस्तुति ने अदभुत दृश्य प्रस्तुत किया। अंततः धनबाद इस्कॉन के संस्थापक नाम प्रेम प्रभु जी ने कहा कि हमें भी भगवान को अपने जीवन में आमंत्रित करने के लिए कुछ तपस्या स्वीकार करनी चाहिए तथा उसे करते वक्त आने वाले विग्नो का आनंद पूर्वक सामना करना चाहिए। कलियुग में श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा इस तपस्या को सुलभ कर हरिनाम संकीर्तन में समेट दिया गया है। अतः हमें प्रतिदिन नियम अनुसार हरे कृष्ण महा मंत्र का जप करना चाहिए। अंततः महा आरती और उत्साहपूर्ण कीर्तन से भक्तों ने मध्य रात्रि में 12 बजे भगवान का प्राकट्य मनाया I सैकड़ों किलो फूलों की होली से भगवान के अवतरण का उल्लास मनाया गया भगवान को छप्पन भोग अर्पित किया गया। महाप्रसाद, पूजा सामग्री, गीता-भगवत आदि ग्रंथ खरीदने के लिए स्टॉल्स भी लगे हुए थे। भविष्य में बनने वाले इस्कॉन मंदिर की जानकारी भी दी जा रही थ। प्रस्तुत है पंकज सिन्हा की रिपोर्ट धनबाद के न्यू टाउन हाल से।