भगवान श्री कृष्ण का 5251 वे जन्मदिवस की तैयारी 5000 वर्ष पुराने अति प्राचीन श्री कृष्ण सुदामा धाम में दुर्लभ गजकेसरी योग में ब्रह्म मुहूर्त में मंत्रोचार और रुद्राभिषेक के साथ शुरू हुई। रुद्राभिषेक के बाद भगवान श्री कृष्ण को सुगंधित इत्र लगाकर सुंदर वस्त्र पहनकर तैयार किया गया। महा आरती कर नवीन ध्वज को चढ़ाया गया। इस पूरे धार्मिक कार्यक्रम में सैकड़ो श्रद्धालु सुबह से ही मंदिर में दर्शन के लिए आने लगे थे। धार्मिक कार्यक्रमों का लाभ समाज सेमी विजय सिंह गौतम ने लिया । वी ओ: आपको बता दें कि पूरे विश्व में भगवान श्री कृष्ण और उनके बाल सखा सुदामा का एकमात्र मंदिर है
जो दोनों की मित्रता के नाम से जाना जाता है बताया जाता है कि श्री कृष्ण और सुदामा उज्जैन सांदीपनि आश्रम में शिक्षा प्राप्त करने आए थे जहां गुरु माता के आदेश पर भोजन बनाने के लिए लकड़ियां बिनने नारायणा धाम के स्वर्णागिरी पर्वत पर आए थे। अधिक बारिश होने और रात्रि होने के कारण दोनों नारायणा धाम में रुक गए और गुरु माता के दिए हुए चने खाकर कुंड से पानी पिया था श्री कृष्णा और सुदामा ने जहां पर लकड़ी का गट्ठर रखा था जिसमें से कुछ लड़कियां छूट गई थी जो आज भी जीवित व हरी भरी पेड़ के रूप में दिखाई देती है। और सबसे बड़ी बात यह है कि जिस कुंड से उन्होंने पानी पिया था वह 12 महीने हर मौसम में सदैव भरा रहता है आरती के बाद दर्शन का सिलसिला शुरू हुआ जो मध्य रात्रि तक जारी रहेगा कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर आसपास के क्षेत्र और दूर-दूर से हजारों श्रद्धालु दर्शन लाभ लेंगे।