स्कूली छात्रों ने डीएम से कहा: “स्कूल जाने का रास्ता बनवा दीजिए ” |

स्कूली छात्रों ने डीएम से कहा: “स्कूल जाने का रास्ता बनवा दीजिए ” |

वैसे तो जिला भभुआ जिला मुख्यालय बने सालो हो गया लेकिन विकास आज भी इंतजार कर रहा है! अभी भी भभुआ शहर की स्थिति गांव से भी बदतर है। अगर हम बात करें तो भभुआ शहर के बाईपास सड़क अखलासपुर वार्ड नंबर 11 के समीप संत लॉरेंस इंग्लिश स्कूल के आसपास घरों के लोगों को आने जाने के लिए रास्ता तो है लेकिन बरसात के दिनों में उस पर घुटने बराबर पानी हो जाता है। संत लाॅरेंस इंग्लिश स्कूल भभुआ शहर का ही नहीं, बल्कि भभुआ जिले का नामी गिरामी स्कूल है। रास्ते में जलजमाव के सवाल पर छात्रों ने इस समस्या की गुहार डीएम कैमूर सावन कुमार से लगाई है। स्कूल के छात्र और छात्राओं ने बताया कि बरसात के दिनों में काफी फजीहत झेलनी पड़ती है। पूरा यूनिफॉर्म खराब हो जाता है। लिहाजा प्रतिदिन धोना पड़ता है। यही नहीं शहर के तमाम गंदे नालों का पानी जिसमें मल भी होता है आने जाने वाले रास्ते पर तैरता है। ऐसी स्थिति में घर जाने पर स्नान करने से लेकर कपड़ा धोने तक की परेशानी बढ़ जाती है। आपको बता दें कि गांव की स्थिति सुधारने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सात निश्चय योजना के तहत गांव में पक्की गली नाली और पीने के पानी के लिए नल जल योजना लेकर आई। हद तक गांव की स्थिति में सुधार भी हुआ है।

लेकिन भभुआ का बाईपास सड़क अखलासपुर वार्ड नंबर 11 संत लॉरेंस इंग्लिश स्कूल को जाने वाला रास्ता विकास का बांट जोह रहा है। छात्राओं ने बताया कि जब इस रास्ते पर घुटने बराबर पानी हो जाता है तो यूनिफॉर्म और जूता निकालना पड़ता है। स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को परेशानी तो होती ही है। साथ ही उस मोहल्ले में रहने वालों लोगों की भी स्थिति नारकीय है। यह अलग बात है कि छात्राओं ने कैमूर डीएम से गुहार लगाते हुए कहा कि डीएम अंकल समस्या को देखते हुए इसका समाधान आप करिए ताकि स्कूल आने-जाने में मानसिक रूप से प्रताड़ित हम लोगों को ना होना पड़े। बहरहाल छात्र-छात्राओं की डीएम से गुहार के बाद क्या इस समस्या का समाधान हो पता है या नहीं यह देखने वाली बात होगी। खैर, सड़क पर व्याप्त जलजमाव की समस्या से छात्राओं को भारी परेशानियों के दौर से गुजरना पड़ रहा है। आलम यह है कि शिक्षा ग्रहण करने विद्यालय आ रहीं छात्राएं कब पानी में गिर जाए कहना मुश्किल है। कुछ ऐसे ही स्थिति दैनिक जरुरतों के सामानों की खरीदारी के लिए बाजार जाने वालो की भी है।

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