आरक्षण समाप्त करने के मुद्दे पर भारत बंद का मिला-जुला असर

आरक्षण समाप्त करने के मुद्दे पर भारत बंद का मिला-जुला असर

आरक्षण समाप्त करने के मुद्दे पर बंदी का दिखा मिला जुला असर। जी हां विपक्ष ने आज सुप्रीम कोर्ट को अपना फैसला वापस लेने के लिए मजबूर करने के उद्देश्य से पूरा भारत बंद का घोषणा किया था झारखंड के धनबाद में जिसका मिला जुला असर दिखाई दिया सभी स्कूलों ने पहले ही आज यानी 21 अगस्त को अवकाश की सूचना दे दिया था। जिससे स्कूलें,कॉलेज,जैसी संस्था बंद रही दुकानें और टेम्पु तथा टोटो बहुत कम सड़को पर नजर आएं जबकि निजी वाहनें चल रही थी खुदरा विक्रेता जैसे सब्जी, फल,और जरूरतों की सारी दुकानें खुली रही दावा और दारू की दुकानें भी खुली रही। बंदी के बहाने इंडी गठबंधन के कार्यकर्ताओं ने लगभग तीन घंटे तक सड़को चौराहों पर जमकर हंगामा किया झरिया के बस्तकोल मुख्यमार्ग को जाम कर सड़को पर ही बैठ गए JMM और कांग्रेस के कार्यकर्ता लोगों को आने जाने में तीन घंटे तक काफी परेशानी हुई। प्रशासन पूरी तरह से चौकस था स्वयं बस्ताकोल में सिंदरी डीएसपी के साथ साथ सभी थाना प्रभारी भी एक्टिव दिखें। सबसे ज्यादा उपद्रव

कार्यकर्ताओं ने रणधीर वर्मा चौक पर मचाया पूरे चौराहे को चारो ओर से जाम कर दिया यह तक की एसडीएम जैसे सरकारी अफसरों को भी अपना रूट बदलना पड़ा। यहां लगभग इंडी गठबंधन के सभी दलों के नेताओं के साथ साथ कार्यकर्ता मौजूद थे। बंद समर्थक इतने उग्र थे की धनबाद प्रेस क्लब के पास खड़े पत्रकारों से भी कहा सुनी करने लगे यही नहीं सभी पत्रकारों को गोदी मीडिया कह कर नारे बाजी भी करने लगे। अब प्रिय दर्शकों विचार करने वाली प्रश्न ये है की क्या आरक्षण के दम पर भारत एक विकशित देश बनेगा ? क्या सचमुच आरक्षण समाप्त करने की बात हो रही है या विपक्ष लोगो को गुमराह कर रहा है? क्या आम जनता को परेशान करके ये सर्वोच्च न्यायालय को अपना फैसला बदलवाएंगे? फिलहाल आलम यह है की विपक्ष के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं है इस लिए अब यह सत्ता पक्ष के हर काम का विरोध तो करेंगे ही साथ ही केंद्रीय एजेंसियों के काम काज में भी रुकावट पैदा करेंगे। अपने देश के ही सर्वोच्च न्यायालय पर भरोसा नही है जनता की चुनी हुई सरकार पर भरोसा नही है। आखिर ये कौन है? ये किसप्रकार से जनता का भला चाहते हैं। प्रस्तुत है पंकज सिन्हा की रिपोर्ट धनबाद से।

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