सावन में बाबा के अलग-अलग रूपों के दर्शन और पूजन का विशेष महत्व होता है। हर कोई बाबा को फूल मालाओं के साथ ही अलग-अलग तरीके का भोग भी लगाता है। इसी तरह बीएचयू कैंपस में एक ऐसा मंदिर है जहां बाबा को दवाओं का भोग लगाया जाता है। और तो और बीएचयू के छात्र यहां पढ़ाई करने के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी करते हैं। आईएमएस बीएचयू के आयुर्वेद संकाय के रस शास्त्र विभाग में शोध और दवाएं बनती हैं। विभाग के परिसर में ही रसेश्वर महादेव का मंदिर है। शोध के बाद जो भी दवाएं तैयार होती हैं वह पहले बाबा को चढ़ाई जाती है। उसके बाद इसका उपचार में इस्तेमाल होता
है। बीएचयू दृश्य कला संकाय के सामने स्थित रस शास्त्र विभाग में इस मंदिर की स्थापना की पहल 2012 में की गई थी। 2015 में मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई। मंदिर की स्थापना में मुख्य भूमिका निभाने वाले और सुबह-शाम मंदिर में पूजा करने वाले रसशास्त्र विभाग के प्रो. आनंद चौधरी का कहना है कि यह मंदिर किसी तरह के कर्मकांड के लिए नहीं है। फार्मेसी में शोध के लिए जो भी दवाएं बनती हैं, उसका पहले बैच बाबा को चढ़ाया जाता है। इस कामना से कि दवाओं का मरीज पर बेहतर और सकारात्मक प्रभाव हो।