श्री सिंह ने कहा कि लगातार कैमूर जिला और बक्सर संसदीय क्षेत्र में पानी और बिजली कटौती की सूचनाएँ प्राप्त हो रही थीं। खासतौर से जिस भयानक स्तर पर सूखा पड़ा हुआ है और राज्य मशीनरी जिस तरीके से किसानों के साथ छल और धोखा करने का काम कर रही है। यह इतिहास में पहली बार ऐसा देखा गया है कि जुलाई समाप्त हो रहा है और रोपनी का समय समाप्त हो रहा है। बांधसागर और रिहंद डैम से जो सरकार के द्वारा अपने हिस्से का पानी लेना चाहिए था वह पूरा नहीं लिया गया जिसके चलते पूरा सोन का इलाका रोहतास, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, पटना जहां पर धान की खेती होती है उन इलाकों में पानी के वजह से रोपनी नहीं हो पाई है। किसानों के पास दूसरा जो वैकल्पिक स्रोत है जो वह बोरवेल के जरिए खेती करते हैं लेकिन नीतीश कुमार की सरकार कहती है कि बिहार में बिजली सरप्लस है लेकिन वह सरप्लस बिजली किसानों को नहीं देना चाहती है। ऐसी निकम्मी और भ्रष्ट सरकार दुनिया में कहीं देखने को नहीं मिली। सूखे का भयानक मौसम हो और बिहार राज्य सरकार के पास बिजली की पर्याप्त और सरप्लस व्यवस्था हो तो किसानों को बिजली 20 घंटा क्यों नहीं दी जानी चाहिए। मैं एक महीना से लगातार मीडिया के जारी प्रेस के जरिए और पत्र के जरिए जब मैं लगातार सवाल किया तो सरकार नींद से जागी और कल उन्होंने 8 घंटा से बढ़ाकर 14 घंटा बिजली किया। एक महीना में किसानों की फसल का जो नुकसान हुआ है उस नुकसान की भरपाई कौन करेगा? सरकार द्वारा लापरवाही इस हद तक थी कि नहरों में जलाशय से पानी लेने के लिए एक पत्र जाता है सिंचाई विभाग के द्वारा कि हमको इतने क्यूसेक पानी की जरूरत है और हमें दिया जाए। लेकिन समय से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में जहां डैम था वहां पत्र नहीं गया। सरकारी उदासीनता के कारण पत्र देर से गया जिसके चलते पानी हमको देर से मिला। दुःखद यह है कि जो राज्य के भीतर कैमूर रोहतास के सीमा पर जो करमचट डैम (दुर्गावती जलाशय परियोजना) है, इसमें पानी होने के बाद भी आधी क्षमता पर नहर को चलाना किस वैज्ञानिक सोच का परिणाम है। बिहार के
सिंचाई मंत्री और मुख्यमंत्री जो किसान नहीं हैं जिस वजह से इन लोगों को किसानों के प्रति सहानुभूति नहीं है। मैं बिहार सरकार से मांग करता हूं कि किसानों के लिए 20 घंटे बिजली की व्यवस्था और नहरों में पूरी क्षमता के साथ चलाने का कार्य करे और जिन नहरों पर असामाजिक तत्वों द्वारा गैस लगा दी गई है उसे भी हटाया जाए ताकि पानी का प्रवाह अंतिम छोर तक जाए। बांधसागर और रिहंद से बिहार को पानी आता है मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से। इन दोनों जगहों पर भाजपा की सरकार है लेकिन इनकी नीति किसान विरोधी रहने के कारण आज हमारे यहां के किसान प्रभावित हो रहे हैं। जब हम सत्ता में थे तो परियोजनाओं को बना रहे थे। भाजपा वाले आए तो कोई भी परियोजना बनाने का काम नहीं किया। ऐसे लोग केवल चुनाव के दौरान बरसात के मेंढक के रूप में उछल-कूद शुरू कर देते हैं। इनको लगता है कि कैमूर और रामगढ़ का किसान पढ़ा-लिखा नहीं है। रामगढ़ का और कैमूर का किसान पढ़ा-लिखा भी है और अपनी ताकत से खेती करता रहता है। जो सरकार चाहे तो थोड़ी मदद कर दे, सरकार मदद नहीं करती है तो भी किसान हमारे यहां काम करता है। तियरा और जैतपुरा की परियोजनाओं को मैंने पूरा कराया और किसानों को पानी दिलाने का काम किया। धरहर पंप का शिलान्यास बिना भूमि अधिग्रहण किए भाजपा के द्वारा किया गया जिस वजह से पंप तैयार होकर भी आज तक पानी का लाभ किसानों को नहीं मिला है। पिछले 1 साल में 6 बार अपराधियों द्वारा 33,000 तार चोरी किए गए। बिहार में भाजपा और नीतीश कुमार की सरकार है जो इन सब पर लगाम लगाने में नाकाम रही है। इस जिले में दो-दो मंत्री हैं लेकिन उन लोगों को किसानों की कोई फ़िक्र नहीं है। सड़कों के निर्माण का जाल हो या अस्पताल, स्कूल, नहरों या बिजलीघर का सवाल हो, पूरी बिजली क्षमता को दोगुना रामगढ़ में हम लोगों ने 4 साल में कर दिया। आज हम सांसद बने हैं तो पिछले एक महीने में पाँच बड़ी परियोजनाएँ बक्सर को मिली हैं। जिसमें बक्सर-भागलपुर एक्सप्रेसवे, बक्सर गंगा नदी पर पुल, नावानगर औद्योगिक क्षेत्र को विशेष क्षेत्र में शामिल किया गया। हम बक्सर लोकसभा के विकास के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे।