जी हां घटना 17 जुलाई दिन बुधवार की शाम की है धनबाद के पांडर पाला में मोहर्रम की ताजिया लेकर जाने वालों ने कुछ ऐसा उपद्रव मचाया कि उपद्रव का मंजर देख कर आप को यकीन ही नहीं होगा कि ये मंजर धनबाद का है। जिला प्रशासन की शांति समिति की बैठक और फ्लैग मार्च धरी की धरी रह गई। ऐसा लगता है कि उपद्रवियों को जिला प्रशासन का कोई खौफ नहीं है। मोहर्रम के जुलूस के लिए जो रूट प्रशासन के द्वारा निर्धारित की गई थी उसे छोड़ कर जान बुझ कर उपद्रव की इच्छा से जुलूस उस रूट में प्रवेश कर गई जो हिन्दू बहुल क्षेत्र है और फिर क्या था लाइट काट दी गई थी फिर क्या घर, क्या मकान, क्या गाड़ी क्या वाहन, यहां तक कि धार्मिक स्थल को भी नुकसान पहुंचाया बहुत देर तक यह आलम चलता रहा फिर जिला उपायुक्त के
साथ पूरा जिला प्रशासन घटनाएं वारदात पर पहुंची और मामले को शांत करवाया। पूरा का पूरा पांडर पाला पुलिस छावनी में तब्दील हो गई।पूरे क्षेत्र में 144 लगा दिया गया । वहां के लोगों का क्या कहना है? कितने डरे हुए हैं लोग? क्या हेमंत सरकार भी ममता सरकार के रास्ते पर चल पड़ी है ? लोगो का कहना है कि दो दिन यानि मोहर्रम के नवमी को भी उपद्रवी उसी क्षेत्र से होकर गुजर रहे थे तब प्रशासन सतर्क क्यों नहीं हुई? और फिर दशमी को तो कांड ही हो गया। लोगो का कहना है कि दो लोग इतने दहशत में आ गए कि घर तक छोड़ कर भाग गए क्या यह लोकतंत्र है क्या यहां कानून का राज है या जंगल राज क्योंकि कानून का भय यदि उपद्रवियों में होता तो ये दुर्दशा नहीं होती। प्रस्तुत है सहयोगी प्रभात पांडे के साथ पंकज सिन्हा की रिपोर्ट धनबाद के पांडर पाला से।