ओडिशा के पुरी में सोमवार सुबह मंगला आरती और भोग के बाद भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा दोबारा शुरू हुई। हरि बोल और जय जगन्नाथ की जयकार के साथ भक्तों ने दोगुने उत्साह से रथों की रस्सियां खींचीं। ढोल की थाप और मंजीरों की ताल से ताल मिलाते हुए भक्त दोपहर बाद सबसे पहले भगवान बलभद्र के रथ तालध्वज के साथ देवी गुंडिचा के मंदिर पहुंचे। कुछ देर
में उनकी बहन देवी सुभद्रा का रथ दर्पदलन भी अपनी मौसी के मंदिर पहुंचा। आखिर में भगवान जगन्नाथ जी भी रथारूढ़ होकर भक्तों के साथ पहुंच गए। अब मंगलवार सुबह तक वे रथों में ही सवार रहेंगे और पूजा के बाद मंदिर में प्रवेश करेंगे। 53 साल बाद इस बार पुरी में रथयात्रा दो दिनों की है। रविवार को यात्रा का पहला दिन था, जिसे सूर्यास्त के ही साथ रोक दिया गया था।