खुदरा महंगाई सरकार के लिए लगातार चुनौती बनी हुई है। दाल के बाद अब आलू, प्याज और टमाटर की बढ़ती कीमतों से खुदरा महंगाई दर पर दबाव बढ़ने लगा है। इसका नतीजा यह होगा कि अगले महीने मौद्रिक नीति समिति की बैठक में आरबीआई के लिए ब्याज दरों में कटौती करना आसान नहीं होगा। क्योंकि पिछले एक महीने में आलू, प्याज व टमाटर की खुदरा कीमतों में क्रमश: 25 प्रतिशत, 53 प्रतिशत और 70 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।सरकार का दावा है कि घरेलू जरूरतों की पूर्ति के लिए प्याज और आलू पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है और कुछ दिनों में कर्नाटक के टमाटर की सप्लाई बाजार में होने लगेगी जिससे टमाटर की कीमतों में नरमी आएगी।
आलू, प्याज और टमाटर की कीमतों को हमेशा एक समान स्तर पर रखने के लिए सरकार की तरफ से वर्ष 2019 में आपरेशन ग्रीन स्कीम लांच की गई थी। स्कीम का उद्देश्य 22,000 हाटों को वैल्यू चेन में लाना था ताकि आलू, टमाटर व प्याज जैसे जल्दी नष्ट होने वाले उत्पादों की सप्लाई बनी रहे। इस स्कीम के लिए 500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था ताकि इन तीनों उत्पादों के स्टोरेज और अन्य सुविधा निर्माण के लिए सब्सिडी वगैरह दी जा सके।उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मुताबिक, इस साल खरीफ सीजन में आलू, प्याज और टमाटर तीनों की खेती पिछले साल की तुलना में अधिक क्षेत्रफल में की जा रही है। हालांकि 70 प्रतिशत प्याज का उत्पादन रबी सीजन में होता है, लेकिन खरीफ के उत्पादन से सप्लाई का संतुलन बना रहता है। मंत्रालय के मुताबिक अभी रबी सीजन का प्याज बाजार में उपलब्ध है और इस साल रबी सीजन में 191 लाख टन प्याज के उत्पादन का अनुमान है। घरेलू खपत प्रतिमाह 17 लाख टन की है