भारत विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिष्ठित सांसदों और कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के विधानसभा, परिषद, अध्यक्षों, सभापतियों की पहली कार्यकारिणी समिति की बैठक पुणे में हुई। जिसमें संगठन के बारे में निर्णय लिया गया। राष्ट्रीय युवा विधायक सम्मेलन कार्यसमिति की बैठक की अध्यक्षता लोक सभा के पूर्व अध्यक्ष शिवराज पाटिल, श्रीमती मीरा कुमार और श्रीमती सुमित्रा महाजन, मो. हारून राशिद पूर्व कार्यवाहक अध्यक्ष, बिहार विधान परिषद और राज्य विधानसभाओं के मौजूदा और पूर्व अध्यक्ष और 15 से अधिक राज्यों के विधान परिषदों के अध्यक्ष और पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त और पूर्व नौकरशाहों ने विचार-विमर्श में भाग लिया। एनवाईएलसी के संगठन के लिए प्रस्तावित तिथियां 16, 17 तथा 18 जून 2023 गोवा या मुंबई, महाराष्ट्र में करने पर विचार किया गया। गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत भी वस्तुतः बैठक में शामिल हुए और बैठक में सभी सदस्यों को गोवा में प्रस्तावित सम्मेलन की मेजबानी करने की पेशकश की, जहां उन्होंने गोवा सरकार का पूरा समर्थन देने का प्रस्ताव रखा है। वक्ताओं ने कहा कि हम वर्तमान में आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं और अगले 2 वर्षों में हम अपने संविधान के कार्यान्वयन के 75 वें वर्ष में प्रवेश करेंगे। एनवाईएलसी एक ऐतिहासिक प्रयास में देश भर के युवा विधायकों को एक मंच पर लाकर देश के इतिहास में इन दो यादगार उपलब्धियों को जोड़ेगा। लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभाओं और विधान परिषदों के युवा विधायक देश के युवाओं की अपार आकांक्षाओं का चेहरा हैं। युवा विधायकों पर एक ओर युवाओं की अपेक्षाओं को पूरा करने और दूसरी ओर बदलती तकनीक के साथ तालमेल बिठाने की दोहरी जिम्मेदारी होती है। युवा विधायकों को देश के शासन को ऊपर उठाने के लिए नई तकनीक और युवा ऊर्जा को एक साथ लाने में केंद्रीय भूमिका निभानी होगी। कुल मिलाकर, युवा और युवा विधायकों को अगले दो दशकों में हमारे देश को विकासशील से विकसित देश में बदलने का काम सौंपा गया है। 2700 से अधिक युवा विधायकों के देश के लिए अपने दृष्टिकोण पर विचार-मंथन करने और सामूहिक मिशन विकसित करने पर विचार-विमर्श करने की उम्मीद है। श्री. मो. हारून राशिद पूर्व कार्यवाहक अध्यक्ष, बिहार विधान परिषद ने टिप्पणी की कि भारत हमारा देश है और हम लोगों के प्रतिनिधि हैं। इसलिए हमारी जिम्मेदारी जाति और धर्म से ऊपर है। जरूरत इस बात की है कि हम अपने देश को समझें और मिलकर इसे आगे बढ़ाएं। लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष श्री शिवराज पाटिल ने कहा विधायिका से तीन बहुत महत्वपूर्ण पहलू अपेक्षित हैं। पहला है नीति निर्माण, दूसरा है कानून बनाना और तीसरा है यह जांचना कि कानूनों का क्रियान्वयन हो रहा है या नहीं।
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