दूसरे देशों से कूटनीतिक संबंधों में टाइमिंग को एक बड़ा फैक्टर माना जाता रहा है. अगर आपने भविष्य की संभावनाओं और आशंकाओं का अंदाजा लगाते हुए सही समय पर बड़े फैसले ले लिए तो आपके विरोधी चारों खाने चित हो जाते हैं. बांग्लादेश के साथ तीस्ता नदी को लेकर शनिवार को भारत ने जो समझौता किया है वो मोदी सरकार की इसी कूटनीतिक टाइमिंग को दर्शाता है. पीएम मोदी और बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना के बीच हुई बैठक के बाद दोनों देश के बीच समझौता तो तीस्ता नदी को लेकर हुआ लेकिन इस समझौते से सबसे ज्यादा मिर्ची चीन को जरूर लग गई होगी.
ऐसा इसलिए भी क्योंकि चीन लंबे अर्से से तीस्ता नदी के बहाने भारत को बांग्लादेश की तरफ से भी घेरने की तैयारी में था. ऐसे में पीएम मोदी का ये एक दांव चीन के सभी मंसूबों पर पानी फेर चुका है. आपको बता दें कि शनिवार को भारत और बांग्लादेश के बीच तीस्ता नदी को लेकर जो समझौता हुआ है उसके तहत भारत अब इस नदी के संरक्षण और प्रबंधन में बड़ी भूमिका निभाने जा रहा है. इस परियोजना के तहत भारत अब जल्द ही अपना एक तकनीकी दल बांग्लादेश भेजने जा रहा है. तीस्ता नदी के संरक्षण और प्रबंधन पर बातचीत के लिए भारतीय तकनीकी दल को बांग्लादेश भेजने का निर्णय इसलिए भी बेहद खास है क्योंकि चीन की इस परियोजना पर लंबे अर्से से नजर थी.