ग्रेच्युटी को अमूमन वफादारी का इनाम समझा जाता है। इसका मतलब कि अगर आप किसी कंपनी या सरकारी नौकरी में लगातार पांच साल या इससे अधिक काम करते हैं, तो आपको पुरस्कार के तौर पर ग्रेच्युटी की रकम दी जाती है। लेकिन, असल में यह वफादारी का इनाम नहीं, बल्कि आपका हक है। यह बात खुद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्पष्ट की थी।
अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि पेंशन और ग्रेच्युटी हम कर्मचारी का मूल्यवान अधिकार है। यह सरकार की ओर से मिलने वाला कोई इनाम या उपहार नहीं है। अदालत ने यह भी कहा था कि अगर किसी कर्मचारी की पेंशन और ग्रेच्युटी भुगतान में बेवजह की देरी होती है, तो उसे भुगतान पर ब्याज का अधिकार है।
संस्था को वह ब्याज देना भी होगा। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने एक अन्य फैसले में यह भी साफ किया है कि ग्रेच्युटी पाने के लिए रिटायरमेंट की उम्र कोई मायने नहीं रखती। कर्मचारी इसे सिर्फ सेवा की अवधि पर भी पा सकता है।