देश में बिजली उत्पादन में कोयले की हिस्सेदारी 64 साल में पहली बार घटकर 2024 की पहली तिमाही में 50 फीसदी से नीचे आ गई है। 1960 के दशक के बाद ऐसा पहली बार हुआ है। जलवायु परिवर्तन के दौर में ये अच्छे संकेत हैं। इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस ( Institute for Energy Economics and Financial Analysis )की पावरअप पर नवीनतम तिमाही रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।
इसके मुताबिक, जनवरी-मार्च में देश की बिजली उत्पादन क्षमता में जोड़ी गई रिकॉर्ड 13,669 मेगावाट (मेगावाट) बिजली में नवीकरणीय ऊर्जा का हिस्सा 71.5 फीसदी रहा। इसी के साथ भारत 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा का चलन बढ़ाकर 50 फीसदी से अधिक ले जाने के लक्ष्य से आगे निकल गया है। भारत 2030 तक ऊर्जा की नवीकरणीय क्षमता को तीन गुना करने का लक्ष्य रखने वाले कुछ देशों में से एक है। वहीं, बिजली उत्पादन क्षमता में कोयले की हिस्सेदारी में गिरावट एक वैश्विक चलन भी दिखाती है।