हिमालय के पहाड़ों को दुनिया का Third Pole कहा जाता है. वजह है भारी संख्या और मात्रा में ग्लेशियरों की मौजूदगी. और ढेर सारी बर्फ. लेकिन यह इलाका ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से बहुत ज्यादा प्रभावित हो रहा है. बर्फ पिघल रही है. ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं. इसका असर सामाजिक तौर पर भी पड़ता है. ग्लेशियरों के सिकुड़ने का मतलब है बर्फ का तेजी से पिघलना. यानी पहाड़ों पर जहां भी यहां से बहने वाला पानी जमा होता है, वहां पर ग्लेशियल लेक्स (Glacial Lakes) बन जाती हैं. पानी जुड़ने से हिमालय में पुरानी ग्लेशियल लेक्स का आकार भी बढ़ जाता है.
ये ग्लेशियर और बर्फ भारत की नदियों का स्रोत हैं. लेकिन ये बर्फीली झीलें खतरनाक साबित हो सकती हैं. ISRO इन पर नजर रखता है. सैटेलाइट्स के जरिए नई बनने वाली झीलों पर और साथ ही पुरानी झीलों के बढ़ते हुए आकार पर. ताकि खतरनाक ग्लेशियल लेक्स के फूटने से पहले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा सके. या इससे बचाव का कोई रास्ता निकाला जा सके. भारत के पास हिमालय पर मौजूद बर्फीली झीलों का 3-4 दशक का डेटा है.