विदेश मंत्री ने कहा कि भारत, जापान, जर्मनी और मिस्त्र ने मिलकर इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र के समक्ष एक प्रस्ताव रखा है। रूस-यूक्रेन युद्ध में फंसे भारतीय छात्रों को लाने की घटना का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें एक ही बात कही थी कि किसी भी कीमत पर बच्चों को वहां से सुरक्षित निकालना है। इसके बाद विदेश मंत्रालय के अधिकारियों की बैठक बुलाई गई।
दो अधिकारियों ने वहां जाने की हिम्मत दिखाई और वह मिशन सफल रहा। जयशंकर ने कहा कि आज दुनिया भारत का लोहा मान रही है। यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत पर रूस से तेल न लेने का दबाव था। भारत ने दबाव के बजाय देशहित पर ध्यान केंद्रित किया और रूस से तेल लेना जारी रखा। हमें जरूरत थी और हमने ऐसा किया। यदि ऐसा न करते तो तेल के दाम आसमान छू जाते।