आईएमए का आरोप है कि पतंजलि ने कोविड-19 वैक्सीनेशन को लेकर एक कैंपेन चलाया था. इस पर अदालत ने चेतावनी दी थी कि पतंजलि आयुर्वेद की ओर से झूठे और भ्रामक विज्ञापन तुरंत बंद होने चाहिए. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन से एलोपैथी दवाइयों की उपेक्षा हो रही है. आयुर्वेदिक कंपनी पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश हुए. इस मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि मामले में पेश दोनों का हलफनामा कहां है? इस पर रामदेव के वकील ने कहा कि दोनों ने माफी मांग ली है और दोनों कोर्ट में हाजिर हैं इस पर कोर्ट ने कहा कि ये अदालती कार्यवाही है. इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता. हम आपकी माफी स्वीकार नहीं कर सकते. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत के आदेश के बाद भी अगले दिन रामदेव, बालकृष्ण और पतंजलि ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. सिर्फ माफी पर्याप्त नहीं है. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी और पतंजलि विज्ञापन छापे जा रहा था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपका मीडिया विभाग आपसे अलग नहीं है, आपने ऐसा क्यों किया? आपको बीते नवंबर को चेताया गया था, इसके बावजूद आपने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. कोर्ट ने कहा कि मामले में एक ही हलफनामा दाखिल किया गया है जबकि दो हलफनामे दाखिल करने चाहिए थे.