ये आस्था का आंगन था। श्रद्धा की होली में संत-महंत क्या श्रद्धालु भी खूब भीगे। कहीं फूलों की होली हुई, कहीं खूब गुलाल उड़ा। टेसू के रंग की एक-एक बूंद पाने को श्रद्धालु व्याकुल था। मौका था गोकुल स्थित कार्ष्णि रमणरेती आश्रम की। गोपाल जयंती महोत्सव के चौथे दिन ठाकुर रमण बिहारी के आंगन में होली खेली गई। आश्रम वृंदावन के रासमंडल के कलाकारों ने होली का मोहक मंचन किया। कार्ष्णि पीठाधीश्वर गुरुशरणानंद महाराज ने ठाकुर जी के स्वरूपों की आरती उतार कर की। रासमंडल के कलाकारों ने रसिया गाकर होली का माहौल बनाया।
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