इलेक्टोरल बॉन्ड के तहत किस-किस ने भाजपा तथा तृणमूल कांग्रेस को चंदा दिया है। इस सूची को प्रकाशित करने की मांग के समर्थन में रानीगंज माकपा लोकल एरिया कमेटी द्वारा आज रानीगंज के एक सरकारी बैंक के सामने विरोध प्रदर्शन किया गया। इस बारे में पत्रकारों से बात करते हुए माकपा के एक नेता ने कहा कि 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा ऐतिहासिक फैसला सुनाया गया था जिसमें इलेक्टोरल बॉन्ड को अवैध घोषित किया गया था लेकिन इसके बाद भी स्टेट बैंक आफ इंडिया द्वारा राजनीतिक दलों को किन लोगों ने चंदा दिया इसकी सूची जारी नहीं की गई। जबकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश था कि स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया को 6 मार्च तक यह सूची जारी करनी होगी। इसी के खिलाफ आज पूरे राज्य भर में आंदोलन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड में 57% धनराशि भाजपा को मिली है और तृणमूल कांग्रेस को भी 800 करोड रुपए मिले हैं। उन्होंने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश है तब उस आदेश की अवहेलना करने का अधिकार स्टेट बैंक आफ इंडिया प्रबंधन को नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर देशभर में स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के विभिन्न शाखाओं के सामने धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी शुरू से ही इलेक्टोरल बांड के खिलाफ थी और उनके विरोध के कारण ही यह मामला अदालत में गया और सुप्रीम कोर्ट का यह ऐतिहासिक फैसला आया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद किनसे भाजपा और टीएमसी को पैसा मिला है इसकी सूची जारी करनी होगी। उन्होंने कहा कि जो मोदी कहा करते थे की काला धन वापस लाएंगे और हर एक के अकाउंट में 15 लाख रुपए आ जाएंगे। वही मोदी कॉर्पोरेट घरानों के ब्लैक मनी को चुनाव में इस्तेमाल कर रहे हैं। उनका साफ कहना था कि उनकी पार्टी इस मामले में फिर से अदालत का दरवाजा खटखटाएगी। उन्होंने कहा कि आज स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया प्रबंधन की तरफ से कहा जा रहा है कि यह सूची जारी करने में 30 जून तक का समय लगेगा तब डिजिटल इंडिया का दावा कहां गया जो काम करने में चंद्र घंटे लगने चाहिए वह काम करने के लिए 30 जून तक का समय क्यों मांगा जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसा करके भाजपा और तृणमूल कांग्रेस को समय दिया जा रहा है। माकपा के इस विरोध प्रदर्शन के दौरान रानीगंज के पूर्व विधायक रुनु दत्ता, हेमंत प्रभाकर, सुप्रिया राय, दिव्येंदु मुखर्जी सहित संगठन के तमाम नेता और कार्यकर्ता उपस्थित थे।
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