पृथ्वी का इकलौता प्राकृतिक उपग्रह यानी चंद्रमा सिकुड़ रहा है. उसकी कोर धीमे-धीमे ठंडी होती है और सिकुड़ती है. इस वजह से चांद पर ‘मूनक्वेक’ आते हैं, जैसे धरती पर भूकंप आता है. फर्क इतना है कि पृथ्वी का भूकंप कुछ सेकेंड्स तक रहता है, जबकि चांद की धरती घंटों डोलती रहती है. लैंडस्लाइड्स भी आम हैं. NASA फंडेड एक स्टडी में पता चला है कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर ऐसी सीस्मिक गतिविधियों का खतरा ज्यादा है. साउथ पोल पर ही पिछले साल 23 अगस्त को भारत के चंद्रयान-3 ने लैंडिंग की थी. चांद के इस इलाके में वैज्ञानिकों की गहरी दिलचस्पी है। यहां बर्फ होने की संभावना जताई गई है लेकिन नई रिसर्च ने चांद पर इंसानी बस्ती की उम्मीदें धूमिल कर दी हैं।