हवलदार से प्रारक्ष अवर निरीक्षक में प्रोन्नति हेतु पुलिस प्रशिक्षण निदेशालय रांची ने एकबार फिर हवलदारों की सूची जारी कर उन्हें संबंधित जिला मुख्यालय में योगदान कर अग्रेतर कार्यवाही करने का आदेश जारी किया है। इन्हें 12 सप्ताह की ट्रेनिंग के लिए जाना है। यह आदेश दुबारे निकला है। मालूम हो धनबाद के एसएसपी संजीव कुमार के अंगरक्षक दिवाकर सिंह मूलतः सिमडेगा जिला बल के हवलदार हैं। इन्हें भी प्रशिक्षण में जाना है। क्रमांक 32 में इनका नाम है।लेकिन सैंया भये कोतवाल तो किस बात का डर भय। धनबाद के एसएसपी संजीव कुमार ने अपने अबतक के 26 महीनों के कार्यकाल में हर आंधी तूफान को झेलते हुए यह साबित कर दिया कि आईपीएस बिरादरी में वे हीरो हैं। उनकी हनक के आगे सब फीका हैं। बता दें कि डीआईजी की प्रोन्नति लिस्ट में इंद्रजीत माहथा और संजय रंजन सिंह के नाम के साथ संजीव कुमार का नाम नहीं शामिल होने पर तत्कालीन गृह सचिव बंदना दादेल ने आपत्ति जताई थी। वह किसी हाल में उक्त संचिका पर हस्ताक्षर करने को राजी नहीं हुई। ऐसे में उन्हें ही गृह सचिव के पद से हटना पड़ा।फिर ऊर्जा सचिव अविनाश कुमार को प्रभार देकर संचिका पर मुहर लगवाई गयी। अंदाजा लगा सकते हैं कि धनबाद के एसएसपी कितने ताकतवर हैं। बड़े बड़े कद्दावर नेता,अफसर सरकार में शिकायत करते रहे पर कोई उनकी कुर्सी को सरका तक नहीं सका। अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और मर्जी से जिला को चलाया। अब तो अगले एक माह में फ़िल्म पर पर्दा गिरने वाला है। अब हम बात करते हैं हवलदार दिवाकर सिंह की। एसएसपी अपने कामकाज को लेकर अपने दो साल के टेन्योर में जितने विख्यात (Famous) हुए,ठीक उसके उल्टे दिवाकर सिंह उतने ही कुख्यात(Notorious) रहे।मामूली एक अंगरक्षक लेकिन रुतबा शहंशाह की भांति। छोटे साहब के नाम से पूरे कोयला जगत में सिक्का उसी का चला। चकमा देने वालों को सबक भी खूब सिखाया। साहब के राज में गलती की माफी है,गद्दारी की कोई माफी नहीं। बहरहाल दिवाकर को आज ही सिमडेगा में योगदान देना है। देखना दिलचस्प होगा कि वो करता क्या है।
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