करीब एक महीने पहले 2 अक्टूबर को जब बिहार सरकार ने जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए, ऐसा लगा जैसे देश की सियासत में उबाल आ जाएगा. कोई इसे मंडल पार्ट टू बता रहा था तो कोई इसे नई ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) क्रांति. जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी की बात होने लगी थी. कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दल नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार के इस कदम में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को हराने का ‘मंत्र’ देखने लगे थे.