तल्ख लेखन के धनी कवि दुष्यंत कुमार का शेर है कि, “कहां को चरांगा तय था हर घर के लिए, कहां चराग मयस्सर नहीं शहर के लिए”. कुछ यही हाल झरिया के हेटलीबांध के निवासियों का पिछले कुछ दिनों से था. दरअसल, यहां लगभग बीस दिनों से जलसंकट चल रहा था. बाशिंदे बेतरह परेशान थे. माडा और निगम से निदान के लिए गुहार लगायी गयी, पर उनके कानों पर जूं तक नहीं रेंगी. व्यवस्था से हारे लोगों ने फैसला किया कि अब खुद ही कुछ करना होगा. बस फिर क्या था. यहां के निवासियों ने अपने खर्चे पर जेसीबी बुलायी. काम करने वाले और पेयजल पाइप के जानकारों को बुलाया गया. चार नंबर में जहां कचरे का ढेर है, वहां खुदायी हुई. सड़क के नीचे अवस्थित वाल्व में कचरा फंसा हुआ था. उसे निकलवाया गया. मेहनत रंग लायी. पानी पुराने फ्लो में निवासियों को मिलने लगा. इस पूरे श्रमपूर्ण आयोजन में बबलू शर्मा, राजा दत्ता, टिंकू सिंह, सौरव शर्मा, झूलन सिंह, देवाशीष का अहम योगदान रहा.
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