केंद्र सरकार के श्रमिक विरोधी नीतियों और ईसीएल के निजीकरण के खिलाफ आज ईसीएल के काजोड़ा एरिया महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष तृणमूल कांग्रेस से संबंधित कोयला खदान श्रमिक कांग्रेस के द्वारा एक प्रतिवाद सभा किया गया। इस मौके पर यहां कोयला खदान श्रमिक कांग्रेस के महामंत्री सह जामुड़िया विधानसभा के विधायक हरेराम सिंह,काजोड़ा एरिया अध्यक्ष अजय पात्रा, प्रदीप पोद्दार,काजोड़ा ग्राम पंचायत के प्रधान मनीषा सिंह, बहुला ग्राम पंचायत के उप प्रधान वीर बहादुर सिंह, तृणमूल कांग्रेस के रानीगंज शहर अध्यक्ष रुपेश यादव,कंचन मित्रा, मोलोय चक्रवर्टी,सुदर्शन सिंह सहित कोयला खदान श्रमिक कांग्रेस संगठन से जुड़े तमान सदस्य कार्यकर्ता गण और श्रमिक उपस्थित थे। इस दौरान महामंत्री हरेराम सिंह ने केंद्र सरकार पर श्रमिक विरोधी नीतियां अपनाने का आरोप लगाया. उनका कहना है कि जिस तरह से केंद्र की भाजपा सरकार कोल इंडिया जैसे राष्ट्रीय संसाधनों के विनिवेश पर अड़ी हुई है, इससे पता चलता है कि उनको आम जनता या श्रमिकों के हितों की कोई परवाह नहीं है.उन्हें सिर्फ कुछ पूंजीपतियों के हितों से मतलब है.आगे उन्होंने कहां की केंद्र की मोदी सरकार नहीं चाहती है की कोई भी पब्लिक सेक्टर देश रहे और इसी कड़ी मे रेल से शुरू करके भेल,सेल, एयरपोर्ट, एयरइंडिया, बैंक, एलआईसी ये तमाम पब्लिक सेक्टर बेचना चाहते है और यह मोदी सरकार ने शुरू भी कर दिया है।कोयला खदान एक महत्वपूर्ण उद्योग है लेकिन मोदी सरकार इससे भी प्राइवेट हाथों बेचना चाहते है अभी तक 12 कोयला खदानों को प्राइवेट हाथ मे दे दिया। भाजपा सरकार ने कुछ उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए इसके निजीकरण की योजना बनाई है। हम जनता के हित में निजीकरण के खिलाफ लड़ते रहेंगे.उन्होंने कहा कि जिस तरह से केंद्र सरकार लगातार कोयला उद्योग के निजीकरण की कोशिश कर रही है ,उसके खिलाफ केकेएससी लगातार आंदोलन कर रहा है .उन्होंने कहा कि ईसीएल के कई खदानों को निजी हाथों में सौंप दिया गया है ,और अन्य खदानों को भी निजी हाथों में सौंपने की कोशिश की जा रही है. कोयला खदान अगर इस तरह से निजी हाथों में चले गए तो श्रमिक हेतु की रक्षा नहीं हो सकेगी, क्योंकि निजी मालिक श्रमिक हितों के बारे में नहीं सोचते . इसके खिलाफ संगठन की तरफ से लगातार आंदोलन किया जा रहा है।
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