टीवी स्क्रीन पर दुनिया भर के राष्ट्राध्यक्षों के साथ जी-20 समिट स्थल पर भारत की प्राचीन संस्कृति की झलक देखने को मिल रही है. विदेशी मेहमान भी भारत की इन प्राचीन धरोहरों के साथ फोटो क्लिक करवा रहे हैं और सनातन के रंग से सरोबार हो रहे हैं. कोणार्क का सूर्य मंदिर, नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर, नटराज की मूर्ति देखकर यही लगता है कि जैसे यहां सनातन धर्म की कोई प्रचार सभा चल रही है. यह केवल कलाकृतियों में ही नहीं दिखता, आयोजन स्थल का नाम, थीम का नाम, देश का नाम, नृत्य संगीत आदि को इस तरह जोड़ा गया कि सनातन जैसे देश का ब्रैंड बन रहा हो. आश्चर्यजनक यह है कि आयोजन स्थल से वो चीजें गायब हैं, जिनसे कभी देश की पहचान कराई जाती थी. जैसे यहां आपको दुनिया की सबसे खूबसूरत इमारतों में से एक ताजमहल की झलक भी नहीं मिलेगी देखने को, क्योंकि वो सनातन की पहचान नहीं है इसलिए परिदृश्य से गायब है. खान-पान, वेश भूषा, नृत्य-संगीत-कला आदि से आयोजन में ऐसी कोशिश की गई है कि सनातन की संस्कृति की झलक जरूर दिखे. इस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक तीर से दो काम किया है. दुनिया को तो अपनी प्राचीन संस्कृति और सभ्यता से रूबरू कराया ही है, भारत में कुछ पार्टियां जो सनातन के विरोध में उतर आईं थीं, उन्हें भी उसकी महत्ता समझा दी है.