बिहार मुखिया संघ के बैनर तले 19 अगस्त से लेकर 31 अगस्त तक झाझा प्रखंड कार्यालय मैदान में धरना दे रहे हैं झाझा प्रखंड के तमाम मुखिया, मुखिया प्रतिनिधि, मुखिया के कार्यकर्ता ,19 सूत्री मांग जो मुखिया को विकास कार्य असफल दिख रहे हैं, मुखिया के उन बिंदुओं पर गौर करें तो, पिछले दो सालों का विकास असफल नजर आ रहा है, मतलब बिहार में पंचायती विकास योजना धरातल पर नहीं उतारा गया है, सिर्फ फाइलों में सिमट कर रह गया है, मुखिया के 19 सूत्री मांग सबाल के घेरे में है, विकास हुआ नहीं, विकास असफल हुआ है तो मुखिया के उन योजनाओं की जांच होनी चाहिए,सबाल तो बिहार मुखिया संघ एवं झाझा प्रखंड के उन तमाम मुखिया एवं मुखिया प्रतिनिधि को है, मुखिया उन पुराने पावर, शक्ति, विकास कार्यों में किसी भी की दखलअंदाजी नही चाहती है,न प्रखंड विकास पदाधिकारी का और न ही ग्राम सभा नही सरपंच का, न ही वार्ड सदस्यों का, मतलब उन मुखिया जो चुनाव में करोड़ों रुपया खर्च कर मुखिया बने हैं आखिर वह करोड़ रूपया कहां से आएंगे वापस पंचायत का विकास व खुद करेंगे तभी संभव है क्योंकि खुद करेंगे विकास तभी मुखिया रुपया वसूल पाएंगे,कुछ मुखिया तो विकास कार्यों को सीख रहे हैं समझ रहे हैं और विकास कर रहे हैं, कुछ मुखिया बड़ी-बड़ी गाड़ियां पर घूम रहे हैं बड़े-बड़े बोर्ड लगाकर, उन प्रभावशाली एवं दबंग मुखिया का राजपाट कैसे चलेगा जब सरकार की मुख्य योजना में कटौती मुखिया का कर लेंगे, बिहार मुखिया संघ को यह बर्दाश्त नहीं हो रहा है, एवं संगठित होकर आने वाले लोकसभा चुनाव एवं विधानसभा चुनाव में मौजूदा सरकार को सबक सिखाने की बात कही जा रही है एवं बिहार सरकार के खिलाफ नारे लगाए जा रहे हैं, अब आने वाले समय में बिहार मुखिया संख्या निर्णय लेते हैं एवं बिहार सरकार क्या कार्यवाही एवं क्या नए संशोधन करती है देखने वाली बात होगी
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