कौन कहता है मुंह काला है झूठ का। जी हां बात है एक नारी का जो प्रिंसिपल हैं एस एस एल एन टी महिला महाविद्यालय धनबाद की श्रीमती शर्मिला रानी आजकल इन्हें बदनाम करने में चाहे मीडिया हो चाहे पत्रकार चाहे महाविद्यालय के ही प्रोफेसर हो या विद्यार्थी कोई कसर बाकी किसी ने भी नहीं छोड़ा है परंतु सच्चाई कुछ और ही है जब एक महिला प्रिंसिपल को इतना बदनाम किया गया तो न्यूज़ इंडिया 24 ने इसके पीछे की सच्चाई पता लगाने की कोशिश की और पाया मामला कुछ और ही है जिस महाविद्यालय में वर्षों से प्रोफेसर और कर्मचारियों की मनमानी चलती आ रही थी फर्जी बिल बनाकर सरकार के पैसे की बंदर बांट हो रही थी इस पर जब शर्मिला रानी ने लगाम लगाना चाहा तो बन बैठी दुश्मन अपने ही महाविद्यालय के कर्मचारियों के और होने लगी तरह-तरह के षड्यंत्र उनके खिलाफ कभी ट्रांसफर का तो कभी सुसाइडल अटेम्प्ट का ड्रामा हद तो तब हो गई जब विश्वविद्यालय भी 1 लख रुपए का फंड नहीं देने पर उनके खिलाफ खड़ी हो गई बिहार के लोगो को चोर तक कह दिया । बात अगर वीणा शर्मा की की जाए जिन्होंने 5 तारीख के शाम को सुसाइड करने का ड्रामा किया तो बताते चलें कि इससे पहले वह बोकारो के एक कॉलेज में थी जहां प्रिंसिपल भी उनके पतिदेव थे वैसे कागजी सर्टिफिकेट के हिसाब से तो वह पी एचडी की डिग्री प्राप्त की हुई है लेकिन छोटी-मोटी स्पेलिंग भी उनसे सही नहीं लिखी जाती है देखिए पूरे सबूत के साथ जब ये सब बात उन्हे बताया गया तो प्रिंसिपल को ही धमकी दे दिया कि आपको फसा देंगे सुनिए क्या कह रही हैं डॉक्टर शर्मिला रानी देखिए कितना आहत है अब शायद वह यहां रहना भी नहीं चाहती हैं अब यही कामना कर रही है कि उनका ट्रांसफर यहां से कर ही दिया जाए क्या यही देश है हमारा विचार करने वाली प्रश्न है आखिर एक महिला जो सब कुछ सुव्यवस्थित ढंग से चलना चाहती है शिक्षा के स्तर को सुधारना चाहती है , तो उनके खिलाफ इतना षड्यंत्र क्यों वीणा शर्मा कहने के लिए पी एच डी है डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त है परंतु जब उनके remuneration bill पर नजर डालते हैं तो ऐसे ऐसे स्पेलिंग मिस्टेक दिखेंगे जो शायद पांचवी और छठी क्लास के बच्चे भी न करें और बोलने पर मैडम सुसाइड का अटेम्प्ट करती है और सारा जिम्मेवारी प्रिंसिपल के सर मढ देती है ये सब कुछ कॉलेज के भीतर चल रहा होता है तभी विद्यार्थी परिषद के लोग भी आ जाते है और कॉलेज के गेट पर धारणा प्रदर्शन करने लगते हैं प्रिंसिपल के खिलाफ नारे बाजी करने लगते हैं और तो और ये खबर सारे अखबार और चैनल के हेड लाइन बन जाती है दर्शको से अपील है की वे देखे सुने और समझे तब सच्चाई का अनुमान स्वयं लगा ले प्रस्तुत है सहयोगी मुकेश लाल के साथ पंकज सिंह की हमारी यह छोटी सी कवरेज
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