बता दें कि इस बार रक्षाबंधन पर राष्ट्रीय सैनिक छात्र सेवा परिषद ने ठाना है कि बहन भाइयों की कलाई पर चाइनीज राखी नहीं, बल्कि देशी गायों की गोबर से बनी राखियां बांधेंगी मंगतखेडा स्थित मनिकापुर में देसी गाय के गोबर से राखी बनाई जा रही हैं संस्था अध्यक्ष अंकित शुक्ला ने बताया कि ये राखी बाजार में भी उतारी जाएंगी उन्नाव की एक संस्था ने भी राखी खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है नष्ट होने के बाद भी ये राखी पर्यावरण को हानि नहीं पहुंचाएंगी रक्षाबंधन भाई-बहन के अटूट प्यार का संदेश देने वाला पर्व है भाइयों की कलाई में राखी बांधकर बहनें उनकी दीर्घायु की कामना करती हैं मोहित शुक्ला ने बताया सनातन परंपरा के प्रतीक इस पर्व पर भाइयों की कलाई पर पहले स्वदेशी राखियां बांधी जाती थीं, लेकिन अब उनके स्थान पर चीन में बनी राखियां आ गई हैं। लेकिन इस बार मंगतखेडा स्थित मनिकापुर में अंकित शुक्ल के नेतृत्व में रक्षाबंधन पर गाय के गोबर से बनी राखियां बाजार में उतारने की तैयारी कर ली है। गोशाला में देशी नस्ल की लाल सिंधी गाय हैं। लाल सिंधी गाय के गोबर से गोशाला में राखी बनाई जा रही हैं। गाय के गोबर को शेप देकर उसे एक धागे से बांधा जाएगा। इससे जहां गोशाला की आमदनी बढ़ेगी, वहीं इससे देश की मुद्रा भी विदेश में जाने से बचेगी। न्यूज़ इंडिया 24 के लिए उन्नाव से संवाददाता विमलेश चंद्र की रिर्पोट
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