डिप्टी कमिश्नर मनरेगा विकास खंड कार्यालय परिसर में बने भवनों व मनरेगा सेल कार्यालय का निरीक्षण किया दौरान निरीक्षण मनरेगा सेल में कार्य कर रहे कर्मचारियों को हिदायत दिया। डी सी मनरेगा बहुत ही गुस्से में नजर आ रहे थे।इसके बाद खंड विकास अधिकारी के जनसंपर्क कार्यालय में बैठकर कर्मचारियों की मीटिंग ली। कमासिन विकासखंड के कुछ ग्राम पंचायतों में मनरेगा से संबंधित कार्यों की शिकायत के परिप्रेक्ष में पत्रकार बंधु डिप्टी कमिश्नर मनरेगा से प्रेस वार्ता करना चाह रहे थे परंतु खंड विकास अधिकारी को अपनी पोल खुलने का डर था इसलिए डिप्टी कमिश्नर को प्रेस वार्ता नहीं करने दिया और डिप्टी कमिश्नर प्रेमनाथ यादव को यह कहना पड़ा कि मैं वर्जन देने के लिए एथराइज पर्सन नहीं हूं । पता नही डिप्टी कमिश्नर किस बात से भयभीत थे कि वह अपनी गाड़ी के बजाय बीड़ियो कमासिन की गाड़ी में बैठ गए। बीडीओ को यह कहना पड़ा कि ये मेरी गाडी है। बीडियो कमासिन भी कह रहें थे कि मनरेगा से संबंधित वार्ता के लिए ये एथराइज पर्सन नही है। और पत्रकार बंधुओ के ऊपर अपना गुस्सा जाहिर कर रहें थे। बीडियो का कहना था कि यह मुझसे सीनियर है मुझसे भेंट करने आए हुए हैं। शायद उनको अपनी पोल खुलने का डर था। क्योंकि सूत्रों के हवाले से यह खबर है कि विकासखंड कमासिन मे पर्सेंटेज का खेल जमकर खेला जा रहा है। अब प्रश्न यह उठता है कि जब एक आधिकारी दूसरे आधिकारी से व्यक्तिगत किसी भेंट करने आता है तो क्या कर्मचारियों की मीटिंग लेता है? या कर्मचारियों को तैश में आ कर हिदायत देता है? या फिर कोई और बात बंद कमरे वाली है, जिससे डी सी मनरेगा बिल्कुल कूल हो गए।
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