छिंदवाड़ा – दूध निकालने के बाद गायों को लावारिस छोड़ रहे पशुपालक

दूध निकालने के बाद गायों को लावारिस छोड़ रहे पशुपालक छिंदवाड़ा जिला जहां गौ वंशीय पशुओं के तस्करों के लिए मुफीद है, वहीं पशुपालक और गौ रक्षा की दुहाई देने वाले भी गौ माता को मौत के मुंह में धकेलने में पीछे नहीं हैं। हिंदू धर्म में पूजनीय गौ माता को जितना नुकसान तस्कर पहुंचा रहे हैं उससे कहीं अधिक पशुपालक पहुंचा रहे हैं। ग्राम पंचायत बोरगांव ने लावारिस छोड़ने वाले पशुपालकों को सबक सिखाने की योजना बनाई है। इसमें कड़ी कार्रवाई के साथ जुर्माना लगाने की बात कहीं गायों की कद्र सिर्फ जुबान पर ही होती है। धरातल पर गौवंशीय पशुओं की हालत दिन पर दिन बदतर हो रही है। नगर में जगह-जगह कूड़े के ढेरों पर लावारिस गायों को मुंह मारते देखा जा सकता है। भूखी प्यासी ये गायें कभी सड़े गले खाद्य पदार्थ और प्लास्टिक की पन्नियां खाकर अपनी भूख मिटाती हैं और प्यास बुझाने के लिए कीचड़युक्त गंदा पानी पीना इनकी मजबूरी बन गई है। नगर बोरगांव की ही बात करें तो यहां वर्तमान में जो गाय सड़कों पर अधिकांश नजर आती हैं वह पशुपालकों की है जो सुबह शाम दूध निकाल कर पशु को सड़कों पर लावारिस छोड़ दिए जाते हैं। दिन भर इन गायों को गंदगी से ही पेट भरना होता है। तपती धूप हो या घनघोर बारिश इन गायों को इनके हाल पर छोड़ दिया जाता है। पशुपालकों द्वारा सड़कों पर छोड़े गए यही गौवंशीय पशु अक्सर दुर्घटना के शिकार भी हो जाते हैं। क्षेत्र में गौ रक्षा की दुहाई देने के लिए तमाम संगठन समय-समय पर बड़ी बड़ी बातें तो करते हैं लेकिन नगर में घुमंतू गायों की दुर्दशा की तरफ आज तक कोई ठोस पहल नहीं की गई। पशुपालक और प्रशासन दोनों जिम्मेदार डां श्याम क्षीरसागर ने कहा पशुपालक इन गायों से दूध निकालकर अच्छा खासा मुनाफा कमाते हैं तो इनके उचित रहन-सहन की व्यवस्था उन्हीं को करनी चाहिए। पिछले कई दिनों से देखा जा रहा है कि क्षेत्र में भी कुछ पशुपालक अपने पशुुओं को लावारिस छोड़ रहे हैं। पंचायत ऐसे पशु पालकों की सूची तैयार कर उनके खिलाफ पशु अधिनियम में कार्रवाई करते हुए जुर्माना भी वसूले इसके लिए एसडीएम की देखरेख में एक टीम का गठन किया जाये

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