बक्सर केंद्रीय कारा में बंद एक कैदी की मौत हो गई है वह विचाराधीन बंदी थे और कुछ दिन पूर्व ही उन्हें पाटीदारों से मारपीट के आरोप में जेल भेजा गया था. मृतक के पुत्र अंकेश यादव ने बताया कि उनके पिता की मृत्यु होने के पश्चात जेल से फोन आया कि वह अपने पिता से आकर मिलने भागे-भागे वह सदर अस्पताल पहुंचे. लेकिन यहां पहुंचने पर उन्हें उनके पिता की लाश मिली. बाद में जब उन्होंने मौके पर मौजूद ऑन ड्यूटी पुलिसकर्मी से यह जानने की कोशिश की कि उनके पिता की मौत कैसे हो गई? तो उन्होंने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि वह सुबह में ड्यूटी पर आए हैं ऐसे में उन्हें इस बारे में कुछ भी नहीं मालूम. बहरहाल, मृतक के पुत्र ने पुलिसकर्मियों व जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं । घटना के संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक बिहार निवासी हीरालाल यादव का अपने पाटीदारों के साथ जमीन जायदाद को लेकर विवाद चल रहा था इसी बीच 27 जून को हीरालाल यादव गृह निर्माण कराने लगे जिसमें खिड़की छोड़ने के विवाद को लेकर पाटीदारों से अनबन हुई जो कि देखते ही देखते मारपीट में बदल गई. इस मारपीट में पक्षों के लोग घायल हुए । बाद में दोनों पक्षों की तरफ से थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई जिसके आधार पर दोनों पक्षों से कुल छह लोगों को जेल भेजा गया जिनमें एक हीरालाल यादव भी थे. उनके पुत्र का कहना है कि वह घायल थे और इस हालत में नहीं थे कि उन्हें जेल भेजा जाए लेकिन जबरन उन्हें जेल भेजा गया. जिसका नतीजा हुआ कि उनकी मौत हो गई । इधर सदर अस्पताल के आपातकालीन ऑन ड्यूटी मेडिकल अफसर राम बाबू रजक ने बताया कि सेन्ट्रल जेल से एक मरीज को रात 11 बजे के करीब लाया गया था जिसकी अस्पताल पहुँचने जाँच से पूर्व ही मौत हो गई थी । जाँच करने के बाद मृत्यु की रिपोर्ट जेल प्रसाशन की साथ आये टीम को लिखित रूप से रात में ही दे दी गई थी ।
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