फर्रुखाबाद में एक ग्राम प्रधान ने खुद को ही एक आशीर्वाद दिया है, जब तक जीयेंगे भ्रष्टाचार का घी पियेंगे, गांव में काम हो न हो, जेब में दाम भरभरकर आना चाहिए शमसाबाद ब्लॉक का ये गांव है मुरैठी, जहां की ग्राम प्रधान हैं शशि यादव और उनके पति और प्रधान प्रतिनिधि हैं अजीत प्रताप, अजीत पूर्व प्रधान भी हैं, इसलिए अपनी पत्नी की पूरी प्रधानी आज भी अजीत ही संभालते हैं और जमकर खेल करते हैं यहां इस गांव में एक नाला सफाई के नाम पर जमकर खेल हुआ है, मजे की बात है की जिस नाले को कागजों में हर साल मनरेगा से साफ कराया जाता है, असल में वो आज तक साफ ही नहीं हुआ, और आज भी बजबजा रहा है। अब एक नाले में इतना खेल किया गया है की आप भी सिर पकड़ लेंगे एक ही नाले की सफाई का काम नाम बदल बदल कर जमकर बंदर बांट किया गया है। ग्राम पंचायत मुरैठी में एक ही नाला है जो की मेन रोड शमसाबाद फैजबाग पर है जिस पर लगातार तीन वित्तीय वर्ष में कार्य कराए बिना, नाम बदलकर सरकारी धन की लूट की गई है चलिए पूरे विस्तार से भ्रष्टाचार की आपको ये काली कहानी सुनाते हैं अब जिस नाले की सफाई में 2016-2017 में तीस हजार रूपए खर्च हुए थे, उसी नाले की सफाई वित्तीय वर्ष 2020 -2021 में की गई जिसका खर्च 88641 हुआ, फिर उसी नाले की सफाई वित्तीय वर्ष 2021-2022 में नाम बदलकर एक लाख दो हजार छह सौ बारह रूपए खर्च किए गए, कहानी अभी खत्म नहीं हुई है, तीसरी बार उसी नाले की सफाई पर वित्तीय वर्ष 2022-2023 में एक लाख चालीस हजार पांच सौ अस्सी रूपए खर्च किए गए। हर साल कीमत में आखिर इतना फर्क कैसे आया है, ये एक बड़ा सवाल है अब आगे बढ़ते हैं, हर साल नाम बदल बदल कर नाले की सफाई के नाम पर खेल किया गया, जैसे की 2016-2017 में कराया गया कार्य बंटी के घर से बंबा तक नाला सफाई के नाम से हुआ, वहीं 2020-21 में कराया गया कार्य गुड्डू के घर से मंदिर तक नाला सफाई कार्य, 2021-2022 में कराया गया कार्य शोभा के घर से मंदिर तक नाला सफाई कार्य और 2022- 2023 में कराया गया कार्य सत्य राम के घर से मुकेश के घर तक नाला सफाई कार्य के नाम से कराया गया है मतलब की काम वही है, नाला वही है लेकिन हर बार नाम बदलकर काम दिखाया गया, जिससे की चोरी पकड़ में न आए। नाले की सफाई के नाम पर यहां इस गांव में जमकर धन का सफाया किया गया है, भ्रष्टाचार की हद तो देखिए नाला सफाई के नाम पर पैसे तो निकाले गए लेकिन नाले सिल्ट और गंदगी से भरा भ्रष्टाचार की गाथा खुद भी खुद सुना रहा है, नाले की सफाई यहां प्रधान जी हर साल मनरेगा से कराते रहे हैं ऐसे में सवाल बनते हैं की मनरेगा से किसी कार्य को कितने समय के बाद दोबारा करा सकते है, मनरेगा में किसी कार्य को दोबारा करवाने पर कितनी खर्च बढ़ा सकते है, मनरेगा से अगर कोई कार्य हर वित्तीवर्ष में फर्जी तरीके कराया जाता है तो उस पर क्या कार्यवाही होगी? ये सिर्फ एक गांव नहीं है, और न ही भ्रष्टाचार का इस गांव में ये कोई पहला मामला है, हम आपको इस गांव से और कुछ और गांव की ऐसी ही प्रधानों की भ्रष्टाचार की कहानी आपके सामने रखेंगे।
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