उद्योग मंडल सीआईआई ने बृहस्पतिवार को कहा कि अनुकूल घरेलू नीति के साथ सरकार के संरचनात्मक सुधारों पर जोर से भारत चुनौतीपूर्ण माहौल में दुनिया में आकर्षक स्थल बना हुआ है। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने यह भी कहा कि मजबूत आर्थिक संकेतकों और सरकार के पूंजीगत व्यय से चालू वित्त वर्ष 2023-24 में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 से 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
सीआईआई के नवनियुक्त अध्यक्ष आर दिनेश ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘अनुकूल घरेलू नीति के साथ सरकार के संरचनात्मक सुधारों पर जोर से भारत चुनौतीपूर्ण माहौल में आकर्षक स्थल बना हुआ है।’’ उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) का हवाला देते हुए कहा कि भारत वैश्विक वृद्धि में इंजन के रूप में काम करेगा और इसमें 15 प्रतिशत से अधिक का योगदान देगा।
आर्थिक वृद्धि के बारे में टीवीएस सप्लाई चेन सॉल्यूशंस के कार्यकारी वाइस चैयरमैन दिनेश ने कहा, ‘‘मजबूत आर्थिक संकेतकों और सरकार के पूंजीगत व्यय को देखते हुए हमारा चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 से 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वहीं मौजूदा दशक (2021-22 से 2030-231) में जीडीपी वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो पिछले दशक में 6.6 प्रतिशत थी।
उल्लेखनीय है कि देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर बीते वित्त वर्ष 2022-23 की जनवरी-मार्च तिमाही में 6.1 प्रतिशत रही। पूरे वित्त वर्ष में वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रही है। आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान का कारण बताते हुए दिनेश ने कहा, ‘‘यह माना जा रहा है कि रूस-यूक्रेन संकट और नहीं बढ़ेगा तथा अमेरिकी केंद्रीय बैंक नीतिगत दर के मामले में यथास्थिति बरकरार रख सकता है। इसके अलावा मानसून के सामान्य रहने का अनुमान तथा सरकार का योजना के मुताबिक बुनियादी ढांचे पर व्यय है।’’
सीआईआई अध्यक्ष ने कहा, ‘‘भारत इस समय जी20 की अध्यक्षता कर रहा है, इस लिहाज से यह साल काफी महत्वपूर्ण है। पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है। पिछले साल भारत पर काफी जोर रहा और इससे जो अवसर पैदा हुए हैं, वे हमारे लिये काफी महत्वपूर्ण है।’’
महंगाई के बारे में उन्होंने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति 2023-24 में रिजर्व बैंक के लक्ष्य के दायरे में होगी। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय बैंक को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ खुदरा मुद्रास्फीति चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल महीने में घटकर 18 महीने के निचले स्तर 4.7 प्रतिशत पर आ गयी। उद्योग मंडल ने आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये अन्य सुधारों के साथ जमीन, श्रम, बिजली और कृषि सुधारों पर आम सहमति बनाने का भी सुझाव दिया है।