जतारा- गौरव आचार्य श्री के सानिध्य में हुआ संघस्थ मुनिराज का समाधि महा-महोत्सव ..

जिला ब्यूरो चीफ प्रमोद झा जतारानगर गौरव आचार्य श्री के सानिध्य में हुआ संघस्थ मुनिराज का समाधि महा-महोत्सव समाचार जतारा परम पूज्य भागलिंगी संत आचार्य श्री विमर्श सागर जी महा मुनिराज ने अपने रत्नत्रय की साधना करते हुए, अर्धशतक, भव्य जीवों को मोक्षमार्ग पर अग्रसर किया है । 24 मई 2023 को आचार्य श्री के ससंघ सानिध्य में पूर्व निर्धारण के अनुसार श्रुत पंचमी महापर्व मनाया जा रहा था। इसी दिन एक सुखद संयोग भी समाज के बीच में आ उपस्थित हुआ। पूज्य आचार्य श्री के सानिध्य में 11 वर्ष से क्षुल्लक श्री विश्वाभ सागर जी साधनारत थे। जयपुर निवासी श्री मान प्रकाश चंद पहाडिया ने आचार्य श्री से प्रभावित से सन् 2012 में अपना “आत्म समर्पण गुरु-चरणों में किया और 24 अक्टूबर 2012 को राजस्थान के विजयनगर शहर में आचार्य श्री के कर-कमलों से श्रावक धर्म के सर्वोत्कृष्ट व्रत अर्थात क्षुल्लक दीक्षा ग्रहण की। आपकी गुरु भक्ति, मंत्र जाप, मंत्र लेखन और अनेक गुणों से भरी हुई संयम की साधना निर्विघ्न चल रही थी। विगत कुछ दिनों से क्षुल्लक जी के स्वास्थ्य में गिरावट चल रही थी किन्तु संयम की साधना गुरु चरणों के प्रताप से उत्तरोत्तर बड़ती चली जा रही थी। आपने सन् 2021 में उत्तर प्रदेश महमूदाबाद नगर में गुरुदेव से 12 वर्ष की उत्कृष्ट सल्लेखना व्रत धारण किया था। 93 वर्ष की उम्र में की उत्तम समाधि आचार्य श्री के संघस्य शिष्य क्षुल्लक विश्वाभ सागर जी ने अपनी उम्र के 82 वें वर्ष में आचार्य श्री की शरण प्राप्त की एवं 93 वर्ष के वृद्धावस्था में अपने भावों को निर्मल- विमल बनाते हुए सर्वोत्तम समाधि मरण प्राप्त कर संसार सागर का किनारा प्राप्त कर लिया। जैन मुनि की दीक्षा लेकर साधक ने किया स्वर्ग के लिए प्रयाण संघस्य शिष्य क्षुल्लक श्री ने 11 वर्ष तक श्रावक धर्म का निर्बाध रीति से पालन किया। साधना काल में आप जैन मुनि की उत्कृष्ट दीक्षा की भावना निरंतर किया करते थे। आचार्य श्री भी आपको सतत आशीर्वाद प्रदान करते रहते थे। आपके जीवन का अंतिम समय जानकर आचार्य श्री मे आपको पूर्ण चैतन्य अवस्था में मुनि दीक्षा के संस्कार किए। मुनिश्री विश्वाभ सागर जी ने मुनी अवस्था को धारण कर अपने निर्मल भावों के द्वारा सर्वोत्तम समाधि प्राप्त की। आपने सूरिगच्छाचार्य श्री विराग सागर जी के स्वर्णिम जन्मोत्सव से अपनी मोक्ष मार्ग की यात्रा प्रारंभ की थी और अपने गुरु आचार्य श्री विमर्श सागर जी महामुनिराज की जन्मभूमि जतारा में अपनी यात्रा को पूर्णता प्रदान की अर्थात मानव जीवन का सर्वोत्कृष्ट फल उत्तम समाधि प्राप्त की। सौभाग्य के क्षण रहे कि प्रवेश के समय दादा गुरु का स्वर्णिम जन्मोत्सव था और आज अपने ही गुरु का “स्वर्णिम विमर्श उत्सव” वर्ष चल रहा है । भारतीय जैन संगठन तहसील अध्यक्ष एवं जतारा जैन समाज उपाध्यक्ष अशोक कुमार जैन ने बताया कि 24 मई 2023 को श्रुत पंचमी के पावन अवसर पर प्रातः काल श्री भक्तामर महामंडल विधान करने का सौभाग्य ललितपुर निवासी श्रीमति मुन्नी देवी, श्रीमति वंदना-अनिल कुमार, श्रीमति समता- प्रदीप कुमार, श्रीमति कृतिका- प्रवीण कुमार, डा. रितिका जैन,प्रतीक,आकृत, प्राकृत जैन समस्त परिवार को प्राप्त हुआ । विधान उपरांत प्रातः 8:00 बजे से “मां जिनवाणी” की भव्य शोभायात्रा संपूर्ण नगर में निकाली गई ।शोभायात्रा के वापिस मंदिर जी पहुंचते ही, प्रातः 9:30 पर पूज्य मुनि श्री विस्वाभ सागर जी महाराज की समाधि संपन्न हुई ।पूज्य मुनि श्री की उत्तम समाधि उपरांत 11:30 बजे श्री पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर जतारा से डोल यात्रा प्रारंभ हुई जो पूर्ण भव्यता से जतारा के मुख्य मार्गो से होते हुए पांडुक शिला स्थल पहुंची,जहां पूज्य मुनि श्री विस्वाभ सागर जी महाराज की अंतिम यात्रा, परम पूज्य आचार्य गुरुवर श्री विमर्श सागर जी महा मुनिराज ससंघ के मंगल सानिध्य में संपन्न की गई । पूज्य मुनि श्री की डोल यात्रा में जैन समाज अध्यक्ष महेंद्र टानगा, प्रकाश रोशन,पवन मोदी,राजीव माची, राजेंद्र राज, एडवोकेट प्रकाश कोठादार, एडवोकेट सचिन जैन, राजेश माते, मुकेश जैन, सलिल जैन नाजा, अमित भंडारी,आदर्श बुखारिया, सहित सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे ।

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